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क्या CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कराने लायक है विपक्ष की ताकत?

चीफ जस्टिस को पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव सदन में स्वीकार होने के बाद दोनों सदनों से दो तिहाई बहुमत में प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के आदेश के बाद ही उन्हें हटाया जा सकता है.

कांग्रेस कर रही महाभियोग लाने की तैयारी कांग्रेस कर रही महाभियोग लाने की तैयारी
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 9:31 AM IST

देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल महाभियोग लाने की तैयारी कर रहे हैं. इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा इस संबंध में विपक्षी दलों से बातचीत भी कर रहे हैं. लेकिन अगर ऐसा होता है तो क्या महाभियोग लाना कारगर साबित होगा, ये बड़ा सवाल है.

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पद से हटाने के लिए महाभियोग लाना ही एकमात्र विकल्प होता है और सदन के दोनों सदनों से दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही उन्हें हटाया जा सकता है.

ये है पूरी प्रक्रिया

-सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिए लोकसभा में 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है. हस्ताक्षर होने के बाद प्रस्ताव संसद के किसी एक सदन में पेश किया जाता है. यह प्रस्ताव राज्यसभा चेयरमैन या लोकसभा स्पीकर में से किसी एक को सौंपना पड़ता है.

-राज्यसभा चेयरमैन या लोकसभा स्पीकर पर निर्भर करता है कि वह प्रस्ताव को रद्द करे या स्वीकार करे.

-अगर राज्यसभा चेयरमैन या लोकसभा स्पीकर प्रस्ताव मंजूर कर लेते हैं तो आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाता है. इस कमेटी में एक सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश, एक उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और एक न्यायविद् शामिल होता है.

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-अगर कमेटी जज को दोषी पाती है तो जिस सदन में प्रस्ताव दिया गया है, वहां इस रिपोर्ट को पेश किया जाता है. यह रिपोर्ट दूसरे सदन को भी भेजी जाती है.

-जांच रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से समर्थन मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.

-राष्ट्रपति अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए चीफ जस्टिस को हटाने का आदेश दे सकते हैं.

क्या है संसद में मौजूदा स्थिति

फिलहाल, कांग्रेस राज्यसभा में महाभियोग नोटिस लाने की तैयारी कर रही है. एनसीपी सांसद माजिद मेमन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि कांग्रेस ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वहीं, सांसद डीपी त्रिपाठी ने बताया है कि उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए हैं और दूसरे सांसद भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं.

बताया जा रहा है कि कांग्रेस को इस प्रस्ताव पर एनसीपी, टीएमसी, सपा, डीएमके, लेफ्ट और आईयूएमएल का समर्थन मिल रहा है.

बीजेपी विरोधी दलों के राज्यसभा में संख्याबल की बात की जाए तो कांग्रेस के पास 51, डीएमके के पास 4, आईयूएमएल के पास 1, आरजेडी के 5, एनसीपी के 4, सपा के 13, टीएमसी के 13, बीएसपी के 4 और लेफ्ट के 6 सदस्य हैं. इस लिहाज से कांग्रेस राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने में कामयाबी हासिल कर लेगी. वहीं, अगर लोकसभा में भी प्रस्ताव लाया जाए तो विपक्ष ऐसा करने में सक्षम रहेगा.लेकिन इसे पारित कराने की स्थिति में विपक्ष नहीं है. ऐसे में महाभियोग प्रस्ताव पारित होने की संभावनाएं बिल्कुल नहीं है.

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बताया जा रहा है कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा उठाए गए मसलों को आधार बनाकर महाभियोग लाने की तैयारी है. जिसमें उन्हें टीएमसी, एनसीपी समेत दूसरे विपक्ष दलों को समर्थन मिल रहा है. हालांकि, यह नोटिस कब दिया जाएगा, इस पर अभी आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं है.

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