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CIC ने कहा- ऑनर किलिंग से ना डरें कपल, शादी के फॉर्म में करें ऐलान

नोटिस जारी होने के 30 दिन के अंदर कोई भी व्यक्ति होने वाली शादी को लेकर आपत्ति जता सकता है. ऐसे मामले में एसडीएम शादी नहीं होने दे सकते, जब तक कि आपत्ति प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर उस पर निर्णय नहीं कर लिया जाता.

अक्सर होते हैं ऑनर किलिंग के मामले अक्सर होते हैं ऑनर किलिंग के मामले
लव रघुवंशी/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 8:57 AM IST

झूठी शान के लिए हत्या से चिंतित मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) ने केंद्र और राज्य सरकारों को सुझाव दिया है कि अगर किसी दंपति को अपने जीवन और स्वतंत्रता को लेकर खतरा महसूस हो रहा है तो अदालत में शादी करने की इच्छा रखने वाले दंपति के लिए घोषणा पत्र शामिल करें.

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने यह भी सुझाव दिया कि विशेष विवाह कानून के तहत रजिस्ट्रार के समक्ष शादी के दौरान दंपति पुलिस सुरक्षा की भी मांग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह का आग्रह थाना अधिकारियों को भेजा जाना चाहिए, जो मामले में जांच कर सकते हैं, और प्रथमदृष्ट्या एसएचओ अगर खतरे को सही पाता है तो दंपति को सुरक्षा देने के लिए पर्याप्त कदम उठा सकता है.

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30 दिन का नोटिस
बहरहाल आयोग ने एसडीएम या विवाह अधिकारियों को निर्देश दिया कि विशेष विवाह कानून के तहत शादी का 30 दिन का नोटिस सुनिश्चित किया जाए जो आरटीआई कानून की धारा (4(1) (D)) के तहत आवश्यक है ताकि संबंधित व्यक्ति (अभिभावकों सहित) इस बारे में जान सकें और अगर आपत्ति हो तो जाहिर कर सकें.

30 दिन के अंदर कोई भी कर सकता है आपत्ति
विशेष विवाह कानून के तहत शादी तभी हो सकती है, जब इस सिलसिले में नोटिस की एक प्रति एसडीएम द्वारा कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगाई जाए. सूचना आयुक्त ने कहा, ‘नोटिस जारी होने के 30 दिन के अंदर कोई भी व्यक्ति होने वाली शादी को लेकर आपत्ति जता सकता है. ऐसे मामले में एसडीएम शादी नहीं होने दे सकते, जब तक कि आपत्ति प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर उस पर निर्णय नहीं कर लिया जाता.’

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दो उद्देश्य पूरे करता है पंजीकरण
सूचना आयुक्त ने कहा कि अगर एसडीएम शादी होने देने से इंकार करते हैं तो कोई भी पक्ष जिला अदालत में 30 दिनों के अंदर अपील कर सकता है. अगर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराता, तो एसडीएम नोटिस जारी होने के 30 दिन बाद शादी करा देते हैं. आचार्युलू ने कहा, ‘सामान्यत: कानून के तहत शादी होने के लिए नोटिस आवश्यक पहलू है. कानून के तहत पंजीकरण दो उद्देश्य पूरे करता है- समाज को प्रस्तावित शादी के बारे में सामान्य जानकारी देना और फिर शादी के सबूत के तौर पर.’ उन्होंने कहा कि सामान्यत: प्रतिबंधित संबंधों, दूसरी शादी को लेकर नोटिस जरूरी है यानी अगर कोई व्यक्ति वैध तलाक लिए बगैर रह रहा है, वैध सहमति के बगैर शादी कर रहा है, विक्षिप्तता की स्थिति है या जो व्यक्ति शादी योग्य उम्र पूरी किए बगैर विवाह कर रहा है तो ऐसी स्थिति में नोटिस जरूरी होता है.

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