
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का असम समेत पूरे देश में विरोध हो रहा है. असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असम गण परिषद (एजीपी) के विधायक प्रफुल्ल कुमार महंत ने कहा कि हमने नागरिकता संशोधन विधेयक (अब कानून) के पक्ष में वोट करके गलती की. हम असम की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को असम के लोगों के बारे में सोचना चाहिए और इसे यहां लागू नहीं किया जाना चाहिए. हम असम में लागू नहीं करने देंगे.
बता दें, नागरिकता कानून पर असम गण परिषद ने यूटर्न ले लिया है. एनडीए में सहयोगी दल असम गण परिषद ने नागरिकता कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला कर लिया. बीजेपी का समर्थन करने की वजह से असम गण परिषद के तमाम नेताओं ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से विरोध प्रदर्शन जताया था. माना जा रहा है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इन्हीं विरोधों के चलते समर्थन वापस लेने का फैसला लिया है.
असम के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ के कुछ हिस्सों में धीरे-धीरे कानून व व्यवस्था की स्थिति में सुधार के बीच रविवार को लगातार दूसरे दिन कर्फ्यू में ढील दी गई. ऐसा विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) 2019 के खिलाफ कई दिनों के हिंसक प्रदर्शन के बाद कर्फ्यू में ढील दी गई.
नागरिकता संशोधन विधेयक के संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद कानून बनने पर गुवाहाटी के साथ-साथ असम के अन्य हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए. यह कानून 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में सताए गए हिंदुओं, सिखों, पारसी, जैन व बौद्ध लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगा. कानून के अनुसार, इन समुदायों को अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा और इन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी.