Advertisement

एक-साथ चुनाव के खिलाफ कांग्रेस, विधि आयोग से कहा- यह संघवाद के खिलाफ

कांग्रेस ने एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव की परिकल्पना के खिलाफ विधि आयोग के समक्ष असहमति जताई है. पार्टी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पी चिदंबरम,सिब्बल और सिंघवी ने विधि आयोग से कहा कि एक साथ चुनाव भारतीय संघवाद की भावना के खिलाफ है.

राहुल गांधी (फाइल फोटो- GETTY IMAGES) राहुल गांधी (फाइल फोटो- GETTY IMAGES)
अजीत तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 10:33 AM IST

कांग्रेस ने एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव की परिकल्पना के खिलाफ विधि आयोग के समक्ष असहमति जताई है. पार्टी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पी चिदंबरम,सिब्बल और सिंघवी ने विधि आयोग से कहा कि एक साथ चुनाव भारतीय संघवाद की भावना के खिलाफ है.

कांग्रेस ने शुक्रवार को विधि आयोग से कहा कि वह लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जाने के विचार का 'पुरजोर' विरोध करती है क्योंकि यह भारतीय संघवाद के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है. कांग्रेस शिष्टमंडल ने शुक्रवार को विधि आयोग के प्रमुख से मुलाकात की और पार्टी के रुख से उनको अवगत कराया.

Advertisement

इस शिष्टमंडल में मल्लिकार्जुन खड़गे, पी चिदंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी, आनंद शर्मा और जेडी सेलम शामिल थे. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस शिष्टमंडल ने कहा कि पार्टी एकसाथ चुनाव कराने का 'पुरजोर तरीके' से विरोध करती है.

पिछले महीने अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था, 'एक राष्ट्र एक चुनाव में कोई दम नहीं है. यह सिर्फ जुमला है. इसका मकसद लोगों को बरगलाना और मूर्ख बनाना है. एक साथ चुनाव की बात सुनने में अच्छी लगती है. इस विचार के पीछे इरादा अच्छा नहीं है. यह प्रस्ताव लोकतंत्र की बुनियाद पर कुठाराघात हैं. यह जनता की इच्छा के विरुद्ध है. इसके पीछे अधिनायकवादी रवैया है.'

एक साथ चुनाव से होगी वित्तीय बचत: मोदी

कांग्रेस के उलट प्रधानमंत्री कुछ समय से लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने पर जोर दे रहे हैं. 17 जून को हुई नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की चौथी बैठक में पीएम मोदी ने कहा था, 'हमने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ कराने पर विचार-विमर्श का आह्वान कई पहलुओं को ध्यान में रखकर किया है, जिसमें वित्तीय बचत व संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल की बात शामिल है.' प्रधानमंत्री के अनुसार, 2009 के आम चुनाव के दौरान 1,100 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि 2014 के चुनाव में 4,000 करोड़ रुपये खर्च हुए.

Advertisement

'मोदी के चुनाव प्रचार पर खर्च होने वाली रकम देश के चुनावी खर्च से ज्यादा'

पीएम मोदी द्वारा एक साथ चुनाव से वित्तीय बचत की बात पर कांग्रेस ने पलटवार किया और कहा कि देश में सभी चुनावों का खर्च प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 'खुद के प्रचार' पर किए जाने वाले खर्च से कम है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राजस्व बचने के तर्क की कड़ी आलोचना की और कहा, 'हम उन्हें पहले खुद के प्रचार पर खर्च होने वाले सार्वजनिक धन 4,600 करोड़ रुपये के खर्च को रोकने की सलाह देंगे.' बता दें कि मुंबई के एक कार्यकर्ता के आरटीआई के जवाब में मई में यह सामने आया था कि मोदी सरकार ने मई 2014 में सत्ता में आने के बाद 4,343 करोड़ रुपये प्रचार पर खर्च किए हैं.

विपक्षी दल भी कांग्रेस के साथ, BJP को SP और TRS का साथ

इधर, कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दल भी देश में एक साथ लोकसभा व विधानसभा चुनाव कराने की बार तीखी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. हालांकि, विधि आयोग की बैठक में  समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सहित कुछ दलों ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार का समर्थन भी किया. जबकि अधिकांश क्षेत्रीय दलों ने विधि आयोग से कहा था कि ऐसा कोई भी कदम क्षेत्रीय आकांक्षाओं को कमजोर करेगा और संविधान में वर्णित संघीय संरचना को ध्वस्त कर देगा. विधि आयोग की बैठक में कांग्रेस और भाजपा, दोनों प्रमुख दल अनुपस्थिति रहे.

Advertisement

वहीं, द्रमुक, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ), समाजवादी पार्टी, टीआरएस, जद-एस और आप ने बैठक में शामिल होकर अपनी बात रखी थी. विधि आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर आमने-सामने चर्चा करने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित किया था. इसमें तृणमूल कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, गोवा फॉरवर्ड पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी प्रस्ताव का विरोध किया था और कहा था कि यह संविधान के खिलाफ है और क्षेत्रीय हितों पर इससे प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

'एक साथ चुनाव के लिए संविधान को विकृत करना होगा'

तेदेपा ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विचार का विरोध किया और कहा कि यह प्रस्ताव अव्यावहारिक और संघीय ढांचे व संविधान की भावना के खिलाफ है. आप नेता आशीष खेतान ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए 'भारतीय संविधान को विकृत कर पूरी तरीके से फिर से लिखा जाएगा.'

द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष स्टालिन द्वारा हस्ताक्षरित अपनी प्रस्तुति में द्रमुक ने प्रस्ताव का जोरदार विरोध करते हुए इसे एक पूर्ण विपदा करार दिया जो संघीय ढांचे को ध्वस्त कर देगा. जद (एस) ने एक साथ चुनाव कराने के लिए विधि आयोग के विचार-विमर्श को बेकार की कसरत करार देते हुए कहा, 'सत्तारूढ़ भाजपा केवल पानी की गहराई नाप रही है, उसकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार को कोई मंशा नहीं है.'

Advertisement

2019 से हो 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की पहल: सपा

सपा के राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पहल का समर्थन करते हुए कहा था कि इसकी शुरुआत 2019 से होनी चाहिए. यादव ने कहा, 'सपा लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के समर्थन में है.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement