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अनुपस्थित सांसदों के खिलाफ एक्शन ले बीजेपी: दिग्विजय सिंह

कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर सरकार ईमानदारी से पिछड़ा वर्ग कानून को लागू करना चाहती थी, तो आम सहमति बनानी चाहिए थी या फिर अपना बहुमत तैयार करना था.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह
सुरभि गुप्ता/मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

राज्यसभा में व्हिप जारी होने के बाद भी सोमवार यानी 31 जुलाई को बीजेपी के कई सांसदों की गैर मौजूदगी पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि बीजेपी अध्यक्ष को अपने सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा, 'मुझे इस बात की खुशी है कि अमित शाह ने अपनी असफलता स्वीकार की है. ये संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की हार है.'

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अनुपस्थित सांसदों को पार्टी से निकाल दें शाह

दिग्विजय सिंह ने कहा, 'आखिर पिछड़ा वर्ग आयोग पर विपक्ष के प्रस्ताव को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा था. अगर सरकार ईमानदारी से पिछड़ा वर्ग कानून को लागू करना चाहती थी, तो आम सहमति बनानी चाहिए थी या फिर अपना बहुमत तैयार करना था. बीजेपी के 30 सांसद और पांच मंत्री अनुपस्थित रहे, यह तब हुआ जब बीजेपी ने तीन लाइन की व्हिप जारी की थी. अमित शाह जी को इन लोगों को पार्टी से निकाल देना चाहिए.'

क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि 31 जुलाई को बीजेपी सांसदों की गैर मौजूदगी के कारण पिछड़ा वर्ग आयोग विधेयक से जुड़ा विपक्ष का संशोधन पास हो गया. सरकार को विपक्ष का यह संशोधन मंजूर नहीं था. सरकार इसे खारिज करना चाहती थी. सदन में जब वोटिंग हुई, तो विपक्ष के संशोधन के पक्ष में 75 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ सिर्फ 54 वोट ही पड़े.

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सांसदों को शाह की नसीहत

इस बाबत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार 1 अगस्त को बीजेपी सांसदों संग बैठक की. शाह ने सांसदों से कहा, 'आप लोग जनता के प्रतिनिधि हैं, इसलिए आपका सदन में रहना जरूरी है. अनुपस्थित होना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. इससे गलत संदेश जाएगा.'

बीजेपी-पीडीपी गठबंधन से बिगड़े JK के हालात

पुलवामा एनकाउंटर पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के मामलों में कांग्रेस कभी राजनीति नहीं करती और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का स्वागत करती है. कश्मीर के हालात बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के कारण बिगड़े हैं. दोनों पार्टियों के बीच भारी मतभेद सामने आए हैं, ऐसे में यह गठबंधन चलने वाला नहीं है. सत्ता के लिए दोनों ही पार्टियों ने आदर्शों के साथ समझौता किया है. कांग्रेस की सहानुभूति जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जुटे तमाम सुरक्षाकर्मियों के साथ है.

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