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अब पूरे देश में चेन्नई से हर दिन रिपोर्ट हो रहे हैं सबसे ज्यादा नए कोरोना केस

30 जून को, चेन्नई ने लगातार दूसरे दिन, दिल्ली, और मुंबई को पीछे छोड़ते हुए देश के किसी भी शहर से अधिक नए केस दर्ज किए. दिल्ली और मुंबई में लगातार मई में नए केस बढ़ने के साथ, अब वहां संख्या में गिरावट आनी शुरू हुई है.

कोरोना वायरस की टेस्टिंग (फाइल फोटो-PTI) कोरोना वायरस की टेस्टिंग (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • चेन्नई,
  • 02 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 5:13 PM IST

  • 30 जून को चेन्नई में लगभग 2,400 नए केस दर्ज हुए
  • जबकि दिल्ली में 30 जून को 2,200 नए केस दर्ज हुए

अप्रैल और मई में मुंबई, जून में दिल्ली के बाद अब चेन्नई है जो हर दिन सबसे अधिक नए केस रिपोर्ट कर रहा है. देश में कोरोनावायरस से बुरी तरह प्रभावित नए शहरों में चेन्नई में सबसे तेज रफ्तार से कोविड-19 केस बढ़ रहे हैं. 30 जून को, चेन्नई में लगभग 2,400 नए केस दर्ज हुए. उस दिन यह संख्या भारत के शहरों में सबसे अधिक, और लॉस एंजिल्स के बाद दुनिया के शहरों में दूसरे स्थान पर थी. दिल्ली जहां, भारतीय शहरों में सबसे अधिक कुल केस हैं, उसने भी 30 जून को 2,200 नए केस ही दर्ज किए.

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18 मार्च को अपना पहला केस दर्ज करने के बाद से चेन्नई में लगातार केसों की संख्या अधिक रही है. चेन्नई आबादी के हिसाब से भारत का छठा सबसे बड़ा शहर है. यहां महामारी के शुरुआती दिनों में अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के आने से केस रिपोर्ट होना शुरू हुए और फिर अप्रैल की शुरुआत में तब्लीगी जमात से जुड़े कलस्टर की वजह से केसों की संख्या में उछाल आया. तब राज्य में 1,200 से अधिक केस कलस्टर की वजह से ही रिपोर्ट हुए, जिनका पता लगा कर उन्हें आइसोलेट किया गया.

जब ऐसा लगने लगा कि तमिलनाडु, खासकर चेन्नई में महामारी नियंत्रण में है, तभी कोयम्बेडु सब्जी मार्केट कलस्टर के तौर पर बड़ा संकट सामने आया. दरअसल, मई में अहम थोक सब्जी मार्केट को दूसरी जगह शिफ्ट करने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया. व्यापारियों और विक्रेताओं को बाजार के अंदर कई दिन और रातें बितानी पड़ीं. फिर वो आसपस के जिलों में गए. जहां भी वो गए उन्होंने छोटे कलस्टर्स में वायरस को फैला दिया. लेकिन राज्य ने लगातार टेस्टिंग बड़े पैमाने पर की. इसका असर जमीन पर दिखा. तमिलनाडु ने डेटा और जानकारी को लेकर भी पारदर्शिता अपनाई. फिर भी, अब केसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

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30 जून को, चेन्नई ने लगातार दूसरे दिन, दिल्ली, और मुंबई को पीछे छोड़ते हुए देश के किसी भी शहर से अधिक नए केस दर्ज किए. दिल्ली और मुंबई में लगातार मई में नए केस बढ़ने के साथ, अब वहां संख्या में गिरावट आनी शुरू हुई है. 3 जून के बाद से, चेन्नई हर दिन 1,000 से अधिक नए केसों की रिपोर्टिंग कर रहा है, और जून के आखिरी दोनों दिनों में शहर में 2,000 से अधिक नए केस दर्ज किए गए. बता दें कि चेन्नई की आबादी दिल्ली की तुलना में आधी से भी कम है.

चेन्नई में बीते दो हफ्ते से केसों की संख्या में वृद्धि हो रही. ये इसके बावजूद है कि चेन्नई अन्य तीन जिलों के साथ 14 जून से "गहन लॉकडाउन" में है. वहां सार्वजनिक परिवहन, लोगों की आवाजाही और किराने की दुकानों की समय-सीमा में फिर कटौती की गई है. लॉकडाउन को अब 5 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है. अधिकारियों की चेतावनी के मुताबिक उसके बाद भी शहर अनलॉक के लिए तैयार नहीं होगा.

केस दोगुने होने के लिए लिया जाने वाला समय यानि दिनों की संख्या जून में लगातार बढ़ती गई लेकिन 21 जून के बाद ये ट्रेंड उलट गया. तीन सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में चेन्नई में अब सबसे तेजी से केस बढ़ रहे हैं. यहां हर 17 दिनों में केस दोगुने हो रहे हैं. दिल्ली में ऐसा होने में 18 दिन और मुंबई 41 दिन लग रहे हैं.

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जबकि चेन्नई के लिए टेस्टिंग डेटा अलग से उपलब्ध नहीं है, लेकिन पूरे तमिलनाडु में टेस्टिंग में काफी वृद्धि हुई है. जून में, इसने टेस्टिंग को दोगुना कर दिया. राज्य में अब तक दस लाख से अधिक टेस्ट किए गए हैं. किसी भी अन्य राज्य की तुलना में तमिलनाडु ने अधिक टेस्ट किए हैं. लेकिन बढ़ती टेस्ट पॉजिटिविटी दर (TPR) से पता चलता है कि अकेले टेस्टिंग से केसों की बड़ी संख्या की व्याख्या नहीं होती. राज्य में संक्रमण भी बढ़ रहे हैं, जिनसे बढ़ी हुई टेस्टिंग भी नहीं मेल खा रही.

जून की शुरुआत में, तमिलनाडु में 5 प्रतिशत से कम की TPR थी, लेकिन महीने के अंत तक यह बढ़कर लगभग 8 प्रतिशत हो गई. 30 जून को, अमेरिका में लॉस एंजिल्स के बाद चेन्नई में दुनिया के किसी भी शहर के लिए सबसे अधिक नए केस थे. लॉस एंजिल्स नए सिरे से केसों में बढ़ोतरी देख रहा है. सभी लैटिन अमेरिकी हॉटस्पॉट शहर अब चेन्नई की तुलना में हर दिन कम नए केस रिपोर्ट कर रहे हैं. सिर्फ सैंटियागो और साओ पाउलो के आंकड़े करीब दिल्ली जितने ही सामने आ रहे हैं.

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