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तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि कोई भी मुस्लिम या ईसाई आतंकवादी नहीं होता क्योंकि जब वह एक बार आतंकवाद को अपना लेता है तो वह धार्मिक नहीं रह जाता. दलाई लामा ने मणिपुर में अपने तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन कहा कि लोग जब आंतकवादी बनते हैं तो उनकी मुस्लिम, ईसाई या अन्य पहचान खत्म हो जाती है. दलाई लामा ने यह भी कहा कि उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नारा 'अमेरिका फर्स्ट' भी पसंद नहीं है.
अहिंसा के उपासक और नोबल पुरस्कार विजेता लामा ने कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत, जिसके पास 1000 वर्षों की अहिंसक परंपरा रही है, अपने प्राचीन ज्ञान से विश्व शांति की स्थापना सुनिश्चित कर सकता है. दलाई लामा के अनुसार, हमारी जितनी भी समस्या है, वह हमने खुद पैदा की हैं. हमें भावनाओं पर काबू रखना सीखना होगा. गुस्सा सेहत के लिए नुकसानदेह है. दुनिया में 700 करोड़ लोगों में, 600 करोड़ लोग भगवान के बच्चे हैं जबकि 100 करोड़ लोग नास्तिक हैं.
उन्होंने कहा कि दुनिया की समस्याओं को बातचीत के द्वारा सुलझाया जा सकता है. भारत अपने प्राचीन ज्ञान और शिक्षा से दुनिया में शांति स्थापना सुनिश्चित कर सकता है. चीन में भी अगर उसकी साम्यवादी विचारधारा को छोड़ दें तो संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि अमीर और गरीब के बीच खाई नैतिक रूप से गलत है और यह खाई भारत और मणिपुर में भी दिखाई देती है. अपने भाषण में दलाई लामा ने याद करते हुए बताया कि कैसे वह 58 साल पहले एक शरणार्थी के रूप में भारत आए थे. बता दें कि भारत में लगभग एक लाख तिब्बती रहते हैं.