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शराब की बोतल पर चेतावनी का आकार हो बड़ा, HC ने सरकार को भेजा नोटिस

हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें दावा किया गया है कि देश की करीब 25 प्रतिशत आबादी शराब और तकरीबन 8 फीसदी चरस, अफीम, गांजा जैसे ड्रग्स की लत की शिकार है.

हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी मांगा जवाब हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी मांगा जवाब
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें दावा किया गया है कि देश की करीब 25 प्रतिशत आबादी शराब और तकरीबन 8 फीसदी चरस, अफीम, गांजा जैसे ड्रग्स की लत की शिकार है. याचिकाकर्ता की मांग है कि शराब की बोतलों समेत बाकी के नशीली चीजों पर दी जाने वाली चेतावनी का आकार बढ़ाया जाए और नशे से दूर रहने के प्रति चलाई जा रहीं योजनाओं के बजट में भी बढ़ोतरी हों.

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हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इस मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी, कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार याचिका को ज्ञापन के रूप में लें और इस मुद्दे पर जनता के हित मे कोई फैसला लें. वहीं, केंद्र और दिल्ली सरकार के वकील ने मामले में अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा है.

ये याचिका मे इस बात का भी जिक्र है कि शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बावजूद इसके केंद्र व दिल्ली सरकार आम लोगों को इसके हानिकारक पहलुओं को बताने के लिए कुछ खास नहीं कर रही है. दिल्ली सरकार को हर साल आबकारी शुल्क के रूप में हजारों करोड़ रुपये की आय हो रही है जबकि जागरुकता अभियान पर मात्र कुछ करोड़ रुपये ही खर्च किए जा रहे हैं.

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याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि जिस तरह से समाज मे शराब पीने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है और यह माना जाने लगा है कि शराब के बिना कोई भी सामाजिक समारोह पूरा नहीं हो सकता. याचिका में बताया गया है कि कई राज्यों जैसे गुजरात, बिहार, नागालैंड, लक्ष्यदीप, नागालैंड, केरल इत्यादि में शराब पर प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन ठोस कदम न उठाने के कारण तस्करी के कारण शराब की लगातार बिक्री जारी है. 19 राज्यों में से पंजाब में शराब की सर्वाधिक खपत है तो असम में सबसे कम है.

शराब की बोतल पर चेतावनी इतने छोटे साइज में लिखी होती है कि उसे पढ़ना भी मुश्किल है. ऐसे में जिस प्रकार सिगरेट के पैकेट पर बड़े साइज में चेतावनी व नुकसान को दर्शाया जा रही है उसी प्रकार शराब की बोतल पर भी बड़े साइज में चेतावनी अंकित की जानी चाहिए. याचिकाकर्ता ने आंकड़े पेश करते हुए कहा है कि दिल्ली सरकार को शराब की बिक्री से शुल्क के रूप में साल 2011 में 19,417.05 लाख रुपये की आय हुई. इसी तरह 2014 में 29,690.60 लाख, 2015 में 31,200.61 लाख रुपये की आय हुई है.

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