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इस बार दिल्ली के राजपथ का गणतंत्र दिवस समारोह इस मायने में खास था कि 10 आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष चीफ गेस्ट के रूप में आए थे. इसे देखते हुए दिल्ली में बेहद चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की गई है. गणतंत्र दिवस परेड के लिए राजपथ, इंडिया गेट, लालकिला और अन्य महत्वपूर्ण रूट पर 600 से ज्यादा CCTV कैमरे लगाए गए. ये सभी कैमरे किराए पर लिए जाते हैं और साल में दो बार यानी गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर इनको लगाने पर 7 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो गए, जिसको लेकर सवाल भी उठाने लगे हैं.
पैसे की बर्बादी!
वरिष्ठ सूत्रों ने आजतक के सहयोगी प्रकाशन मेल टुडे को बताया कि ये सभी कैमरे ओपन टेंडर के द्वारा किराए पर लिए गए हैं. एक सूत्र ने बताया, 'करीब 600 कैमरों का किराया और स्थापित करने का खर्च 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है. ये कैमरे एक महीने के लिए किराए पर लिए गए हैं.' हालांकि दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि किसी संवदेनशील इलाके में ये कैमरे स्थायी रूप से स्थापित करने की जगह साल में दो बार (26 जनवरी और 15 अगस्त) इन्हें किराया पर लेना ज्यादा खर्चीला है. नाम न जाहिर करने की शर्त पर इस अधिकारी ने कहा, 'साल में दो बार इन कैमरों के लिए किराया देने पर जितना खर्च होता है, उतने में तो राजधानी में स्थायी रूप से सुरक्षा व्यवस्था की जा सकती है. हम किराए पर कैमरे लेकर पूरी तरह से पैसे की बर्बादी कर रहे हैं.'
पिछले साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के समारोह के लिए भी लाल किले के आसपास करीब 500 CCTV कैमरे लगाए गए थे, जहां प्रधानमंत्री को राष्ट्र के नाम संबोधन देना था.
अधिकारी ने कहा, 'अगस्त 2017 में CCTV कैमरों को किराए पर लेने और उन्हें लगाने पर 2.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इसके 10 दिन के बाद ही उच्च स्तर के ये कैमरे निकाल लिए गए और कंपनी को वापस कर दिए गए.'
वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ विशेष कैमरे (4 मेगापिक्सल से लेकर 10 मेगापिक्सल), उच्च स्तर के कैमरे, सामान्य कैमरे और नाइट विजन एवं पैन कैमरे लगाए जाते हैं. इन कैमरों की लागत 5,000 रुपये से लेकर 1 लाख तक होती है.
एक अन्य अधिकारी ने मेल टुडे को बताया, 'इन कैमरों की तैनाती इलाके की संवेदनशीलता और जोखिम को ध्यान में रखकर की जाती है.' अधिकारी ने बताया, 'दिल्ली पुलिस जल्दी ही कुछ हाई-एंड कैमरे खरीदने वाली है्. यह सही है कि इन कैमरों को किराए पर लेना महंगा सौदा है, लेकिन यह हमारे लिए सुरक्षित और सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. जब हम किराए पर कैमरा लेते हैं तो वे अच्छी कंडीशन में ही होते हैं, उनमें गड़बड़ी या काम न करने की गुंजाइश बहुत कम होती है. इसके अलावा कैमरों को स्थायी रूप से इंस्टाल करना और उनका रखरखाव करना काफी खर्चीला सौदा है. रखरखाव के अलावा एक 2 मेगापिक्सल कैमरे के साइबर हाइवे के लिए हर साल करीब 50,000 रुपये खर्च हो जाते हैं. इन वजहों से ही दिल्ली पुलिस कैमरों को खरीदने की जगह किराए पर लेना पसंद करती है. '
पुलिस के अनुसार इस साल खतरा तीन गुना ज्यादा था, इसलिए सात स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है और CCTV कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है. राजधानी में गणतंत्र दिवस के अलावा 10 आसियान देशों के नेता उच्च स्तरीय सम्मेलन के लिए भी आए हैं, इसलिए जमीन से लेकर आसमान तक कड़ी सुरक्षा की गई है. दिल्ली और आसपास के सीमावर्ती इलाकों में सेना के हजारों जवान मुस्तैद हैं. ऊंची इमारतों पर एंटी एयरक्राफ्ट गन के साथ जवान तैनात हैं. कंट्रोल रूम से कैमरों की मदद से चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है.