
नोटबंदी को एक महीना हो गया. इस दौरान कई तरह के ग्राफ बढ़े. लोगों की परेशानी का, संयम का, देशभक्ति का और साथ ही ई भुगतान के बढ़ते चलन का ग्राफ भी काफी बढ़ा. सरकार चाहती है कि नोटबंदी के बाद लोग डिजिटल भुगतान की विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाकर ना केवल नकदी के संकट से निपटें बल्कि डिजिटली एजुकेटेड होकर दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलें. यानी कैशलेस व्यवस्था की ओर आगे बढ़े. ताकि कोई उनकी मेहनत की कमाई में ना तो सेंध लगा पाये और ना ही किसी तरह की गड़बड़ कर सके. पाई पाई का हिसाब पारदर्शी तौर पर रखा जा सके. हर ट्रांजेक्शन ना केवल कंप्यूटर में दर्ज रहे बल्कि एक क्लिक पर पूरा स्टेटमेंट आंखों के आगे आ जाये.
सरकार ने डिजिटल इंडिया के तहत चलाये गये अभियानों की बढ़ती लोकप्रियता के ऐसे ही कई आंकड़े पेश किये तो ये साफ हो गया कि हां, इस परेशानी के दौर में ही सही लोगों ने सबसे सुरक्षित, पारदर्शी और सरल लेन देन के जरिये ई भुगतान का पाठ आखिर पढ़ ही लिया. साथ ही इस बारे में नये सबक भी याद कर लिये.
आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने डिजीधन अभियान की शुरुआत करते हुए बताया कि ई-वॉलेट को ही लें तो आठ नवंबर से पहले इसमें 17 लाख प्रतिदिन के ट्रांजेक्शन होते थे. लेकिन ठीक एक महीने के दौरान ही सात दिसंबर को इसका ट्रांजेक्शन लगभग चार गुना बढ़कर 64 लाख प्रतिदिन हो गया है. यानी 52 करोड़ रुपये रोजाना के लेनदेन से बढ़कर अब 191 करोड़ रुपये रोजाना का कारोबार होने लगा.
आंकड़े चौकाने वाले तो और भी हैं. यानी रुपे कार्ड की बात करें तो आठ नवंबर तक 3.85 लाख ट्रांजेक्शन रोजाना होते थे. अब तो 503 फीसदी बढ़ कर 7 दिसंबर को 16 लाख ट्रांजेक्शन हो गये हैं. यानी रोजाना का कुल लेनदेन 39.17 करोड़ रुपये से बढ़कर 236 करोड़ रुपये रोजाना तक हो गया है. इसमें दिन पर दिन लगातार इजाफा जारी है.
आंकड़ों की रोशनी में देखें तो पेटीएम के मुकाबले सरकार का ई भुगतान एप यूपीआई भी 3721 ट्रांजेक्शन रोजाना से बढ़कर 48,238 ट्रांजेक्शन रोजाना तक आ ही गया. यानी 1196 फीसदी का रिकॉर्ड इजाफा. रोजाना जहां 1.93 करोड़ रुपये का लेनदेन इसके जरिये होता था अब ये 15 करोड़ रुपये रोजाना हो गया है.
प्रसाद ने कहा कि ये भारत की खासियत है कि लोग पहले नई तकनीक को कौतुहल से देखते परखते हैं. फिर उसका इस्तेमाल करते हैं. इसके बाद उसे एंजॉय करते हैं फिर वही तकनीक उनके जीवन का अहम हिस्सा बन जाती है. यानी पहले इस्तेमाल फिर विश्वास.
यूएसएसडी का कारोबार भी आठ नवंबर तक औसतन 97 प्रतिदिन था. अब ये 1263 प्रतिदिन है. यानी एक लाख से छलांग लगाकर 14 लाख रुपये रोजाना तक पहुंच गया है. प्रसाद ने भरोसा दिलाया कि ये तो जनता को डिजिटल राह पर चलाने की शुरुआत है. अभी और भी कई अभियान चलने हैं और जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा भी मजबूत करनी है साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी.