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राफेल डील पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, एंटनी बोले- जवाब दे मोदी सरकार

एंटनी के मुताबिक उस वक्त 36 एयरक्राफ्ट तय किया गया था, लेकिन अब की स्थिति को देखते हुए ये सौदा पर्याप्त नहीं है, उन्होंने कहा कि ये एक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ बुनियादी सवाल है?

एके एंटनी एके एंटनी
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:36 AM IST

शुक्रवार को लगभग 10 दशक बाद भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सौदे पर मुहर लग गई. इसके साथ ही यह माना जा रहा है कि भारत की सामरिक शक्ति और मजबूत हुई है. लेकिन विपक्ष ने राफेल सौदे पर एनडीए सरकार को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस का कहना है राफेल सौदा भारत के लिए नुकसानदेह है.

पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कांग्रेस दफ्तर प्रेस वार्ता कर राफेल सौदा को नुकसान का सौदा करार दिया. एंटनी की मानें तो यह सौदा भारत को काफी महंगा पड़ेगा. उन्होंने कहा कि 'जब यूपीए की सरकार ने इस देश की जिम्मेदारी 2014 में छोड़ी, उस समय ये चीजें सुनिश्चित थी कि भारतीय एयरफोर्स की ऑपरेशनल रिक्वार्यमेंट के लिए 126 एयरक्राफ्ट की जरूरत है और शुक्रवार जो सौदा तय किया गया है वो सवालों के घेरे में है'. एंटनी के मुताबिक उस वक्त 36 एयरक्राफ्ट तय किया गया था, लेकिन अब की स्थिति को देखते हुए ये सौदा पर्याप्त नहीं है, उन्होंने कहा कि ये एक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ बुनियादी सवाल है?

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अपने तर्क को साबित करने के लिए उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना की स्वीकृत 42 स्क्वाड्रन की है, आज की तारीख में 32 स्क्वाड्रन ऑपरेशनल हैं और 2022 तक वो घटकर सिर्फ 25 रह जाएंगे. इस परिस्थिति में जब चीन और पाकिस्तान अपनी सामरिक शक्ति बढ़ा रहा है तो क्या ये 36 जहाज इस सारे परिपेक्ष्य को देखते हुए भारतीय एयरफोर्स की जो जरूरत है उसको पूरा कर पाएंगे. इसके ऊपर हम सरकार की प्रतिक्रिया जानना चाहते हैं?

कांग्रेस की मानें तो यूपीए सरकार के वक्त चल रहे MMRCA कार्यक्रम को इस सरकार ने रद्द ही कर दिया है, उसकी कीमतों के ऊपर नेगोशियेशन चल रही थी, उस समय कई लोगों ने पूर्व रक्षा मंत्री को खत लिखकर इसकी कीमत अधिक बताया है. खत लिखने वालों में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी शामिल थे और उनकी बुनियादी शिकायत ये थी कि ये जो लाइफ साइकिल कोस्ट है इसको दोबारा से आंकलन करने की जरूरत है.

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यूपीए सरकार के दौरान रक्षा मंत्री ने ये तय किया था कि ये मामला वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा, वित्त मंत्रालय इसको तय करेगा और उसके बाद प्राइस नेगोशियेशन आगे बढ़ेगी. पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि हम सरकार से ये पूछना चाहते हैं कि ये जो सारी शिकायतें आई हुई थी, क्या उन शिकायतों के ऊपर कार्यवाही हुई, क्या मामला वित्त मंत्रालय को भेजा गया, क्या लाइफ साइकिल कोस्ट का आंकलन दोबारा किया गया, और फिर उसके बाद ये सौदा तय किया गया?

एंटनी का कहना था कि जब यूपीए नेगोशियेट कर रही थी, उस समय ये तय हुआ था कि 18 जहाज 'ऑफ द शेल्फ' खरीदे जाएंगे और 108 जहाज भारत में बनेंगे. अब जो बात सामने आई है उसके अनुसार 36 के 36 जहाज फ्रांस से खरीदे जाएंगे, विपक्ष ने सवाल उठाया कि जो 'मेक इन इंडिया' की बात प्रधानमंत्री जी करते थे, क्या इस सौदे में 'मेक इन इंडिया' का पूरी तरह से बाजा नहीं बजा दिया गया है?

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