
चुनावी साल में दिए जाने वाले पद्मश्री अवॉर्ड बाकी चार सालों में दिए जाने वाले पद्मश्री अवॉर्ड्स से 30 फीसदी ज्यादा होते हैं. ये खुलासा पिछले 16 सालों की पद्मश्री विजेताओं की लिस्ट को लेकर की गई एक रिसर्च से सामने आया है.
दिल्ली-महाराष्ट्र से हैं ज्यादा विजेता
इसी रिसर्च में ये भी पता चला है कि पिछले 16 सालों में कुल पद्मश्री विजेताओं के एक तिहाई विजेता दिल्ली और महाराष्ट्र से हैं. जबकि इस दौरान बिहार से सिर्फ 20 लोगों को पद्मश्री मिला, जो कि कुल अवॉर्ड्स का दो फीसदी से भी कम है. 63 फीसदी चुनावी सालों वाले सात राज्यों में पद्म विजेताओं की कुल संख्या में 30 फीसदी का उछाल देखने को मिला.
अवॉर्ड से नहीं पड़ता चुनाव नतीजों पर फर्क
वैसे ये रिसर्च करने वाली टीम के सदस्य राकेश दुब्बुदू का मानना है कि इसका चुनावों में किसी पार्टी के प्रदर्शन का कम ही प्रभाव पड़ता है. बकौल राकेश, 'चुनाव में किसी पार्टी के प्रदर्शन और किसी खास राज्य के अवॉर्डी लोगों बीच कोई सीधा लिंक नहीं दिखता. हालांकि इससे बड़े राजनैतिक रसूख का पता जरूर चलता है क्योंकि इस अवॉर्ड्स को जीतने में केंद्र का अहम रोल होता है.'
सरकार कोई हो, जमकर बंटते हैं अवॉर्ड
चुनावी साल 2004 में जब एनडीए सत्ता में थी उस साल 74 लोगों को पद्मश्री अवॉर्ड दिए गए थे. जबकि इसके पहले के चार सालों का औसत 57 था. 2009 में जब यूपीए सत्ता में थी तो 93 पद्मश्री अवॉर्ड बांटे गए थे जबकि पिछले चार सालों का औसत 66 था. यहां तक कि 2014 में जब फिर से यूपीए की सरकार थी, 101 लोगों को पद्मश्री से नवाजा गया था जबकि पिछले चार सालों का औसत 80 था.
चंद राज्यों का है पद्मश्री पर कब्जा
अगर औसत निकालें तो 2004, 2009 और 2014 में दिए गए पद्मश्री अवॉर्ड, गैर चुनावी सालों में दिए पद्मश्री अवॉर्ड से 30 फीसदी ज्यादा थे. दिल्ली और महाराष्ट्र ने बाकी राज्यों की तुलना में बेढंगे तरीके से ज्यादा अवॉर्ड्स पर अपना कब्जा जमाया. इस दौरान दिए गए कुल 1200 पद्मश्री अवॉर्ड्स में से इन दोनों राज्यों ने लगभग एक तिहाई पर अपना कब्जा जमाया. अगर इसमें इनके साथ तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक को भी जोड़ दें तो यह संख्या कुल अवॉर्ड्स की आधी से भी ज्याद हो जाती है.
सबसे कम विजेता बिहार से
आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश को इन अवॉर्ड्स में से 6-6 फीसदी का हिस्सा मिला है जबकि बिहार पिछले 16 सालों में सिर्फ 20 पद्मश्री ही जीत पाया है. आर्ट्स को बाकी सभी कैटेगरी से ज्यादा पद्मश्री मिले हैं जबकि पत्रकारिता इस लिस्ट में सबसे आखिरी पायदान पर है.