
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मंगलवार को एक केस की सुनवाई के दौरान कहा कि ग्रीन कोर्ट में आने वाले करीब 50 फ़ीसदी मामले ब्लैकमेलर द्वारा कोर्ट में फाइल किए जा रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण के नाम पर जितनी भी अर्जी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में लगाई जा रही हैं, उनमें से आधी उन लोगों की हैं जो कोर्ट में केस लगा कर बाहर लोगों को ब्लैकमेल करते हैं.
एनजीटी ने ये टिप्पणी वृंदावन में बन रहे इस्कॉन मंदिर के निर्माण पर सवाल उठाती एक याचिका की सुनवाई के दौरान की. दरअसल, इस मामले में इस्कॉन की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को कहा कि ज्यादातर याचिकाएं उन लोगों की तरफ से लगाई जा रही है. जो कोर्ट में अर्जी लगाने के बाद पक्षकारों को ब्लैकमेल करते हैं.
कोर्ट ने इस पर अपनी सहमति जताते हुए कहा, 'हमें पता है कि यहां लगने वाली करीब 50 फ़ीसदी याचिकाएं ब्लैकमेल के लिए हैं. कोर्ट ने कहा कि इसीलिए अब हम सभी याचिकाओं पर नोटिस नहीं करते हैं. बल्कि जिन याचिकाओं में हमें पर्यावरण से जुड़ी गंभीर समस्याएं नजर आती हैं हम उन्हीं पर आगे सुनवाई करते हैं.'
दरअसल, वृंदावन के ही एक व्यक्ति ने एनजीटी में याचिका लगाई थी की इस्कॉन मंदिर का निर्माण यमुना के पास हो रहा है और इससे वहां के इकलॉजिकल सिस्टम को बड़ा खतरा हो सकता है. याचिका में कहा गया था कि इस मंदिर को बनवाने के लिए अलग-अलग विभागों से एनओसी भी नहीं लिया गया है.
लेकिन कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि वृंदावन में बन रहे चंद्रोदय मंदिर के लिए सभी जगह से एनओसी ली जा चुकी है. तकरीबन 300 करोड़ की लागत से बनने वाले इस मंदिर को 700 फीट लंबा बनाया जा रहा है जो धार्मिक स्मारक के लिहाज से विश्व में सबसे ऊंचा होगा. इस मंदिर में 70 फ्लोर बनाए जाएंगे.
पिछले 3 हफ्तों के दौरान एनजीटी करीब 80 याचिकाओं का निपटारा कर चुका है. ज्यादातर याचिकाओं को इन निर्देशों के साथ निपटा दिया गया है कि संबंधित विभागों और सरकारों को निर्देश दिया गया जाता है कि वह समस्या के निपटारे के लिए काम करें. उस पर अपनी पैनी नजर रखें. हालांकि कोर्ट ने मंदिर से जुड़े इस मामले को आगे भी सुनने के लिए अगले महीने के लिए तारीख दे दी है.