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Exclusive: पर्रिकर बोले- जटिल हैं 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें रह पाएंगी. उनके बयान का बड़े पैमाने पर असर हो सकता है.

पर्रिकर बोले- इंडस्ट्री में आ रहा है बदलाव पर्रिकर बोले- इंडस्ट्री में आ रहा है बदलाव
केशव कुमार/जुगल पुरोहित
  • पणजी,
  • 30 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 12:10 AM IST

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें रह पाएंगी. उनके बयान का बड़े पैमाने पर असर हो सकता है. सशस्त्र बलों की ओर से पहले भी पेंशन के मसले पर वह कड़े विरोध का सामना कर चुके है.

7वें वेतन आयोग की सिफारिशों में जटिलताएं
पर्रिकर ने इंडिया टुडे से कहा कि 7वां वेतन आयोग फिलहाल सिफारिशों के रूप में हैं. मुझे नहीं लगता कि वह सिफारिशें रह पाएगी. मैं इस पर आखिरी तौर पर विचार नहीं कर सकता. मैंने कुछ जटिल बिंदुओं को चिन्हित किया है और आगे भी सही स्तर पर उसे ठीक से चिन्हित करूंगा.

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सभी विभागों के एक प्रमुख का ड्राफ्ट तैयार
रक्षा विभाग के कर्मचारियों के पहले प्रमुख की तैनाती के बारे में पर्रिकर ने बताया कि इस मामले में ड्राफ्ट तैयार हो रहा है. साथ ही हम इस पर राय भी साझा कर रहे हैं. इस मामले में कोई रुकावट नहीं है और जल्द ही इसे कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा.

नियुक्तियों में टिकाऊपन की जरूरत
पर्रिकर ने सशस्त्र बलों की नियुक्ति को लेकर कहा कि इसके तरीके को बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमें अधिग्रहण या इंजीनियरिंग में ज्ञान को बनाए रखना होगा. लंबी अवधि तक लोगों को टिककर ज्ञान साझा करना ही चाहिए. कई मामलों में बहुत अधिक रोटेशन की जरूरत नहीं होती. लोगों के ध्यान में लाने के लिए यह सूचना दी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि मामले को लेकर कैसे आगे बढ़ा जाए, इस पर चर्चा की जा रही है. इसका असर पर व्यक्तिगत नीतियों पर भी होता है.

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वायुसेना में बदलेगा प्रशिक्षण का तरीका
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय वायुसेना को इंटरमीडिएट जेट ट्रेनर (आईजेटी) की जरूरत नहीं है. वायुसेना ने सिमुलेटर्स के जरिए बीटीए और एजेटी को प्रशिक्षित करने का फैसला किया है. तीन के बजाय अब यह दो स्तरों का प्रशिक्षण होगा.

मंत्रालय में बेहतर काम की जमीन तैयार
रक्षा मंत्रालय की कार्यशैली को लेकर पर्रिकर ने कहा कि फोर्स के साथ व्यवहार का तरीका उतनी सही नहीं है. सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हम सिर्फ देश में बने उत्पादों के सीधे खरीदार हैं. निर्यात के मामले में भारत बहुत मुश्किल में है. आपको सिर्फ सेना के आदेश पर सर्वाइव करना होता है. कई बार आपसी भरोसे की कमी, शक और निराशा दिखती है. अधिग्रहण प्रक्रियाओं में भी माहौल बेहतर नहीं दिखता है. मैं इसे पूरी तरह बदल देने का दावा नहीं करूंगा, लेकिन कुछ ठीक हुआ है और डिलिवरी शुरू हो सकता है. हमने जमीन तैयार कर ली है और अब डिलिवरी ही फोकस में है.

इंडस्ट्री में बदलाव, असर दिखना शुरू
उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री पर आरोप लगाना सही नहीं है. इस क्षेत्र ने बहुत तंग माहौल का एहसास किया है और अब थोड़ी ठंडी हवा का चलना शुरू हुआ है. सबकुछ एक रात में नहीं हो जाता. आत्मविश्वास बन रहा है . इंडस्ट्री ने प्रतिक्रिया देने की शुरुआत की है. छोटे बदलाव हुए हैं. ऑफसेट बंद हुआ है, निर्यात में सुधार हो रहा है. खरीद स्थानीय स्तर से ऊपर हो रहा है. यह बहुत बड़ा प्रदर्शन नहीं है, लेकिन इंडस्ट्री ने असर दिखाना शुरू कर दिया है.

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बढ़ रहा है स्कॉर्पियन का प्रपोजल
पर्रिकर ने बताया कि स्कॉर्पियन का प्रपोजल बढ़िया तरीके से आगे बढ़ रहा है. पी75 हमारे सामरिक साझेदारी की रणनीतियों में शामिल है. हम तुरंत टाइमलाइन जारी नहीं कर सकते. अरिहंत के मामले में हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं. इस मामले में हम फिलहाल अधिक चर्चा नहीं कर सकते.

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