
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार ने पूरे देश में तमाम तरह की पहल की है.
महिला सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से किए गए उपायों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि आपराधिक कानून (संशोधन), अधिनियम 2013 यौन अपराधों के खिलाफ कानून को प्रभावी करने और अपराधों को रोकने के लिए लागू किया गया था. इसके बाद, आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 लाया गया. इसके तहत 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की से बलात्कार के लिए मौत की सजा सहित और भी कड़े दंडात्मक प्रावधानों को लागू किया गया.
गृह राज्यमंत्री ने कहा कि इस अधिनियम के अंतर्गत 2 महीने के भीतर जांच और परीक्षण पूरा करने का नियम बनाया गया है. उन्होंने सदन को बताया कि इमरजेंसी रेस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम पूरे भारत में एक ही नंबर (112) उपलब्ध कराता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है. इसके तहत संकट के समय घटनास्थल की पहचान की भी कंप्यूटरीकृत व्यवस्था है.
रेड्डी ने कहा, स्मार्ट पुलिसिंग और सुरक्षा प्रबंधन में सहायता के लिए तकनीक का उपयोग करते हुए सेफ सिटी प्रोजेक्ट्स को पहले चरण में 8 शहरों (अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई) में मंजूरी दी गई है. गृह मंत्रालय ने अश्लील सामग्री की रिपोर्ट करने के लिए 20 सितंबर, 2018 को एक साइबर-क्राइम पोर्टल शुरू किया है, जिस पर नागरिक शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
उन्होंने बताया, गृह मंत्रालय ने 20 सितंबर 2018 को कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा देश भर में यौन अपराधियों की जांच और ट्रैकिंग की सुविधा के लिए ‘नेशनल डेटाबेस ऑन सेक्सुअल ऑफेंडर्स’ (NDSO) लॉन्च किया है. इसके अलावा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में आसान सुविधाओं के लिए लिए गृह मंत्रालय ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2018 के अनुसार, 19 फरवरी 2019 को यौन उत्पीड़न के मामलों की निगरानी और ट्रैकिंग के लिए एक ऑनलाइन टूल ‘इनवेस्टीगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंसेज’ का शुभारंभ किया, जो पुलिस के इस्तेमाल के लिए है.
मंत्री ने बताया कि 1 अप्रैल, 2015 से पूरे देश में वन स्टॉप सेंटर (OSC) योजना लागू है. यह योजना एक ही जगह से देश भर की हिंसा प्रभावित महिलाओं को चिकित्सा सहायता, पुलिस सहायता, कानूनी परामर्श/ अदालती प्रबंधन, मनो-सामाजिक परामर्श और अस्थायी आश्रय जैसी एकीकृत सेवाएं प्रदान करने के लिए शुरू की गई है. सूचना के मुताबिक, भारत सरकार की ओर से अब तक 728 वन स्टॉप सेंटर को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से 595 पूरे देश में काम कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि इन उपायों के अलावा गृह मंत्रालय समय समय पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी करता है. इसे सरकार की वेबसाइट www.mha.gov.in पर देखा जा सकता है.