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भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ सख्त बिल लाने की तैयारी कर रही है सरकार

विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे मामलों को देखते हुए सरकार सख्त प्रावधानों वाला ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल’ लाने की तैयारी कर रही है. इस तरह के अपराधों से बैंकिंग सेक्टर की सेहत पर बुरा असर पड़ता है.  

विजय माल्या और नीरव मोदी विजय माल्या और नीरव मोदी
अजीत तिवारी/राहुल श्रीवास्तव/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:15 AM IST

आर्थिक अपराधों को अंजाम देने के बाद विदेश भाग जाने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार सख्त बिल लाने पर विचार कर रही है. बिल में ऐसे प्रावधान होंगे जिनसे आर्थिक अपराधियों के भारतीय अदालतों के दायरे से बचे रहना मुमकिन नहीं रहेगा. सूत्रों के मुताबिक विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे मामलों को देखते हुए सरकार सख्त प्रावधानों वाला ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल’ लाने की तैयारी कर रही है. इस तरह के अपराधों से बैंकिंग सेक्टर की सेहत पर बुरा असर पड़ता है.   

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बिल में ऐसे प्रावधान होंगे जिनसे बैंक के कर्ज का भुगतान नहीं करने समेत तमाम आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों की संपत्ति को जब्त करना और बेचना आसान हो जाएगा. ऐसा करने से विशेष अदालत के जरिए भगोड़ों पर बकाया रकम की तेजी से रिकवरी की जा सकेगी.

बिल में कोर्ट ऑफ लॉ (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत स्पेशल कोर्ट) को एक व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का प्रावधान होगा. ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ शेड्यूल्ड अपराध के मद्देनजर गिरफ्तारी का वारंट जारी है और वो आपराधिक अभियोग से बचने के लिए भारत छोड़ देता है.

अदालतों पर इस तरह के मामलों का ज्यादा बोझ ना आए, इसके लिए बिल के दायरे में उन्हीं अपराधों से जुड़े केसों को लाया जाएगा जहां 100 करोड़ रुपए या उससे अधिक की रकम शामिल हो.

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इस तरह के अपराधियों की संपत्ति को आपराधिक कृत्यों से ही जुटाई गई संपत्ति माना जाएगा. अगर ऐसा भगोड़ा अपराधी देश वापस आता भी है तो वह इस तरह की संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकेगा.

 बिल में ऐसा प्रावधान होगा जिससे भगोड़े आर्थिक अपराधियों की विदेश स्थिति संपत्ति को जब्त करना आसान हो जाएगा.

बिल में संबंधित व्यक्ति को वकील के जरिए सुनवाई का मौका मिलेगा. जिससे कि उसे विदेश या भारत में नोटिस या समन का जवाब दाखिल करने का वक्त मिल सके. साथ ही वो हाईकोर्ट में भी अपील कर सके.

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