Advertisement

अहमदाबाद के अस्पताल में 3 दिन के अंदर 18 नवजात शिशुओं की मौत, कांग्रेस ने किया विरोध प्रदर्शन

इस अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत का औसत प्रतिदिन लगभ 5 से 6 मौतों का है, इसलिए 9 बच्चों की मौत थोड़ा चिंताजनक स्थिति है. हालांकि अस्पताल प्रशासन किसी असामान्य घटना से इनकार कर रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह/मयूरेश गणपतये/गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 29 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 3:39 PM IST

गुजरात के अहमदाबाद स्थ‍ित सिविल अस्पताल में शुक्रवार रात से शनिवार रात के बीच 9 नवजात बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है. इन मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है. इन मौतों के बाद कांग्रेस ने भी गुजरात सरकार से इस पर जवाब मांगा है. वहीं इस घटना को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.

Advertisement

इस अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत का औसत प्रतिदिन लगभ 5 से 6 मौतों का है, इसलिए 9 बच्चों की मौत थोड़ा चिंताजनक स्थिति है. हालांकि अस्पताल प्रशासन किसी असामान्य घटना से इनकार कर रहा है. आपको यहां यह भी बता दें कि पिछले तीन दिनों में 18 नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है. इनमें 9 की मौत केवल 28 अक्टूबर को हुई.

तीन सदस्यीय जांच समिति का नेतृत्तव कर रहे डॉ. आरके दीक्षित ने 'आज तक' से हुई बातचीत में कहा, "पिछले 24 घंटों में इस अस्पताल में जिन शिशुओं की मौत हुई है कमेटी उनकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच करेगी. जैसा कि इस अस्पताल में सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं हैं, इसलिए कई मामले यहां रिफर किए जाते हैं. पहली नजर में यह चिकित्सा लापरवाही का मामला नहीं दिखता है, लेकिन कमेटी इस मामले की विस्तृत जांच करेगी और आज अपनी रिपोर्ट सबमिट कर देगी."

Advertisement

बच्चों की मौत की वजह कम वजन का होना बताया जा रहा है.  प्राप्त जानकारी के अनुसार 5 बच्चों को लुनावाड़ा, सुरेंदरनगर, मनसा, विरमगम और हिम्मतनगर के विभिन्न अस्पतालों से गंभीर हालत में सिविल अस्पताल अहमदाबाद के लिए रेफर किया गया था. इन बच्चों का वजन एक किलो के आसपास का था, जबकि सामान्य तौर पर किसी नवजात का वजन 2.5 किलो होना चाहिए. इन बच्चों को एसिफिक्सिया, एक्स्ट्रीम प्रीटर्म बर्थ एसिफिक्सिया और मेकोनियसम एस्प‍िरेशन सिंड्रोम जैसी बीमारियां थीं. अन्य तीन केस ऐसे थे जो उसी अस्पताल में पैदा हुए थे जिन्हें जन्म के साथ अस्थमा की समस्या थी तो वहीं एक को मेकोनिया एस्पिरेशन सिंड्रोम था.

घटना के समय सभी डॉक्टर्स और नर्स नियोनैटल इंटेन्सिव केयर यूनिट में अपनी ड्यूटी पर थे. यह गुजरात में बच्चों का सबसे अंतिम रेफरल सेंटर है जिसमें करीब 100 बेड हैं.

इस घटना पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने ट्वीट कर कहा कि गुजरात सरकार को इसके लिए जवाबदेही स्वीकार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार या तो यह स्वीकार करे कि डॉक्टरों ने लापरवाही की या तो यह माने कि उनकी माताएं कुपोषित थीं.

कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि एक दिन में 9 बच्चों की खबर सुनकर वे बेहद दुखी हैं, यह घटना सरकार के स्वास्थ्य के बारे में लापरवाह और सुस्त रवैए को उजागर करती है.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement