
हैदराबाद की सड़कों पर हाल ही में भीख मांगते हुए पकड़े गए कुछ लोगों में दो अधेड़ उम्र की महिलाएं भी हैं जो अंग्रेजी बोलती हैं. इतना ही नहीं यहां लौटने से पहले वह पश्चिमी देशों में काम करने का दावा करती हैं.
तेलंगाना कारावास विभाग ने पुलिस और नगर निगम के साथ तालमेल से 20 अक्टूबर से 235 पुरुषों और 130 से अधिक महिलाओं को भीख मांगते हुए पकड़ा है. उन्हें आनंद आश्रमों में रखा गया है. हैदराबाद को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के अभियान के तहत यह किया जा रहा है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 'लांगेर हौज में एक दरगाह के पास भीख मांगते हुए पकड़ी गईं करीब 30 महिलाओं में 50 और 44 साल की दो महिलाएं हैं जो हैदराबाद की रहने वाली हैं. पुलिस 11 नवंबर को उन्हें आनंद आश्रम ले गई थी.'
आश्रम के कर्मचारियों को जब पता चला कि दोनों महिलाएं अच्छी अंग्रेजी बोलती हैं तो उन्हें हैरानी हुई. इनमें से बड़ी महिला ने कर्मचारियों को बताया कि उसके पास एमबीए की डिग्री है. वह यहां वापस आने से पहले लंदन में अकाउंटेंट का काम करती थी. उसके बेटे ने इस बात की पुष्टि की जिससे अधिकारियों ने संपर्क किया था.
चेरलापल्ली खुली जेल के अधीक्षक और आश्रम प्रभारी के. अर्जुन राव ने बताया कि 44 वर्षीय दूसरी महिला ने कहा कि उसके पास ग्रीन कार्ड है और वह अमेरिका में काम कर चुकी है.उन्होंने कहा, '50 साल की महिला के पति की मौत हो गई थी और वह कुछ दिक्कतों का सामना कर रही थी. उसने एक तांत्रिक से संपर्क किया और उसकी सलाह पर दरगाह के पास भीख मांगना शुरू कर दिया. उसका बेटा अमेरिका में आर्किटेक्ट है.'
राव के मुताबिक दूसरी महिला ने दावा किया है कि उसके रिश्तेदारों ने पैतृक संपत्ति में उसके हिस्से को लेकर धोखाधड़ी की जिसके बाद उसने भीख मांगना शुरू कर दिया.