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सोनिया का केंद्र पर हमला- संवैधानिक मूल्यों और परंपराओं के खिलाफ मोदी सरकार

सोनिया गांधी ने स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सरकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था, संवैधानिक मूल्यों और स्थापित परंपराओं के विपरीत खड़ी है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (फाइल फोटो- पीटीआई) कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (फाइल फोटो- पीटीआई)
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 1:05 AM IST

  • देश में 74वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न
  • सोनिया गांधी का मोदी सरकार पर हमला

देश अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार पर भी जमकर हमला बोला. सोनिया गांधी ने कहा है कि सरकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था, संवैधानिक मूल्यों और स्थापित परंपराओं के विपरीत खड़ी है.

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सोनिया गांधी ने स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे भारतवर्ष की ख्याति विश्व भर में न सिर्फ प्रजातांत्रिक मूल्यों और विभिन्न भाषा, धर्म, संप्रदाय के बहुलतावाद की वजह से है, बल्कि भारत प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना एकजुटता के साथ करने के लिए भी जाना जाता है.

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सोनिया गांधी ने कहा, 'आज जब समूचा विश्व कोरोना महामारी की महाविभीषिका से जूझ रहा है, तब भारत को एकजुट होकर इस महामारी को परास्त करने के प्रतिमान स्थापित करने होंगे. मैं पूरे आत्मविश्वास से कह सकती हूं कि हम सब मिलकर इस महामारी और गंभीर आर्थिक संकट की दशा से बाहर आ जाएंगे.'

उन्होंने कहा कि हमने बीते 74 वर्षों की स्वाधीनता में अपने प्रजातांत्रिक मूल्यों को समय-समय पर परीक्षा की कसौटी पर परखा है और उसे निरंतर परिपक्व किया है. आज ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था, संविधान मूल्यों और स्थापित परंपराओं के विपरीत खड़ी है. भारतीय लोकतंत्र के लिए भी ये परीक्षा की घड़ी है.

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चीन और भारतीय सेना के बीच हुए टकराव पर सोनिया गांधी ने कहा, 'कर्नल संतोष बाबू और हमारे 20 जवानों की गलवान घाटी में वीरगति को भी साठ दिन बीत चुके हैं. मैं उनको भी याद कर उनकी वीरता को नमन करती हूं और सरकार से आग्रह करती हूं की उनकी वीरता का स्मरण करे और उचित सम्मान दें. भारत मां की सरजमीं की रक्षा और चीनी घुसपैठ को विफल करना उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी.'

विपक्ष का उत्तरदायित्व

सोनिया गांधी ने कहा, 'आज हर देशवासी को अंतरात्मा में झांककर यह सोचने की आवश्यकता है कि आजादी के क्या मायने हैं? क्या आज देश में लिखने, बोलने, सवाल पूछने, असहमत होने, विचार रखने, जवाबदेही मांगने की आजादी है? एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते ये हमारा उत्तरदायित्व है कि हम भारत की प्रजातांत्रिक स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाए रखने का हर संभव प्रयत्न और संघर्ष करें.'

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