Advertisement

आसियान समिट से चीन के OBOR पर भारत की नजर!

इस शिखर सम्मेलन में सभी 10 आसियान देश हिस्सा लेंगे. वहीं जापान भी आसियान का सदस्य न होने के बावजूद समित का हिस्सा होगा.

पीएम नरेंद्र मोदी पीएम नरेंद्र मोदी
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:58 AM IST

चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के चैलेंज से पार पाने के लिए भारत की एक और रणनीति सामने आई है. चीन के साथ इस मसले पर तनाव के बीच भारत आसियान देशों के साथ रिश्तों को और मजबूती दे रहा है. जिसके तहत इसी हफ्ते दिल्ली में आसियान-भारत कनेक्टिविटी शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है.

ये शिखर सम्मेलन (एआईसीएस) 11 से 12 दिसंबर को आयोजित होगा, जिसमें भारत और आसियान देशों के वरिष्ठ मंत्री हिस्सा लेंगे. साथ ही भारत सरकार के सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग तथा पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल होंगे.

Advertisement

शिखर सम्मेलन में आसियान देशों के साथ नए समझौतों और रणनीतियों पर सहमति के साथ भारत को अपने निकटतम प्रतिद्वंदी चीन और पाकिस्तान को बैकफुट पर लाने में मदद मिल सकती है.

क्या है सम्मेलन का मकसद

इस शिखर सम्मेलन में सभी 10 आसियान देश हिस्सा लेंगे. वहीं जापान भी आसियान का सदस्य न होने के बावजूद समिट का हिस्सा होगा. भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच आर्थिक और औद्योगिक संबंधों को मजबूत करने के मकसद से इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है.

क्या हैं सम्मेलन के मायने

ये सम्मेलन इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि इसे चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल, ये भी एक जानकारी है कि जिन देशों से ये आर्थिक गलियारा संबद्ध होगा, उन्हें चीन के कर्ज तले दबना पड़ सकता है. ऐसे में भारत तकनीकी या आर्थिक तौर पर ऐसे देशों की मदद कर उनसे करीबी बढ़ा सकता है.

Advertisement

बता दें कि चीन की मंशा इस मेगा प्रोजेक्ट को पाकिस्तान, कजाकस्तान, सिंगापुर और तुर्की तक बढ़ाने समेत दूसरे पश्चिम एशियाई देशों तक ले जाने की है.

आसियान में 10 देश शामिल हैं. जिनमें वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रूनेई हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement