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इमरान खान ने चुनाव जीतने के बाद और प्रधानमंत्री बनने से पहले कहा था कि शांति के लिए पहले भारत पहल करे तो फिर पाकिस्तान आगे बढ़ने को तैयार हैं, हालांकि सत्ता में आने के करीब एक महीने के बाद उन्होंने खुद ही इस संबंध में पहल कर डाला, लेकिन क्या यह पहल वाकई में किसी मुकाम पर पहुंचने में कामयाब होगी?
प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत को भेजे पत्र में प्रस्ताव दिया था कि इस माह के अंत में न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच बातचीत हो. साथ ही उन्होंने यह प्रस्ताव भी रखा कि भारत जल्दी से जल्दी पाकिस्तान में सार्क सम्मेलन आयोजित कराने पर विचार करे.
शांति और क्रूरता एक साथ
भारत ने इस पत्र का सकारात्मक जवाब दिया और मुलाकात को लेकर अपनी रजामंदी दे दी. लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि पाक की ओर से हिंसा लगातार जारी है. पत्र भेजे जाने के समय ही सीमा पर पाक की ओर से क्रूरता का एक ताजा उदाहरण दिखा.
जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर के पास पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) ने बुधवार को सारी मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए बीएसएफ जवान नरेंद्र कुमार की नृशंस हत्या कर दी और उनके शव को क्षत-विक्षत कर डाला.
हेमराज जैसी कई घटनाएं
ऐसी क्रूरता पाक की ओर से इससे पहले भी की जा चुकी है. 2013 में पुंछ सेक्टर में लांसनायक हेमराज सिंह के शव के साथ पाक ने जो क्रूर बर्ताव किया था उसे देश आजतक नहीं भूला है.
दूसरी ओर, गुरुवार शाम होते-होते बांदीपुरा में दोनों देशों की ओर फायरिंग भी शुरू हो गई. पाक की ओर से सीमा पर लगातार फायरिंग की खबरें आती रहती हैं. वह देश के अंदर आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए आतंकियों को अपनी जमीन के साथ-साथ अन्य जरुरी चीजें भी मुहैया कराता रहता है.
भारत और पाकिस्तान ने 2003 में युद्धविराम की घोषणा की थी, हालांकि इसके बावजूद सीजफायर के उल्लंघन का सिलसिला थम नहीं रहा है और पाक की ओर से लगातार जारी है.
वहीं पिछले महीने पाकिस्तान के रक्षा दिवस के मौके पर पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों की शहादत का बदला लेने की बात कही थी. उनके इस बयान से दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखने की बात की उम्मीद क्या सही है.
सीमा पर लगातार गोलीबारी
सरकारी खुफिया सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 2017 में रणनीतिक अभियानों के तहत और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सीमा पार से होने वाली गोलीबारी का जवाब देते हुए भारत ने 138 पाक सैनिकों को मार गिराया था. जबकि भारत के 28 सैनिक मारे गए. हालांकि पाक अपने सैनिकों के मारे जाने की बात ज्यादातर मौके पर स्वीकार नहीं करता है.
वहीं, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2017 में पाकिस्तानी सैनिकों ने सीजफायर उल्लंघन की 860 घटनाओं को अंजाम दिया, जबकि 2016 में यह 221 थी.
समाधान निकलेगा!
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जुलाई में आम चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अपने पहले देश के नाम संबोधन में भारत के साथ विवाद को खत्म करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अगर भारत विवाद सुलझाने के लिए तैयार है, तो हम दो कदम बढ़ाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें वह एक कदम उठाना होगा. एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप हमें कहीं लेकर नहीं जाएगा.
वहीं इमरान के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों मुल्कों के बीच अच्छे रिश्तों की कामना कर चुके हैं. एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा, 'पाकिस्तान से रिश्तों को सुधारने के लिए उनकी सरकार ने कई कदम उठाए हैं. मैं हमेशा कहता रहा हूं कि हम पड़ोसी देश से अच्छे रिश्ते की चाहत रखते हैं. हमने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं.'
अब चूंकि पाक ने खुद ही इसकी शुरुआत कर दी है, लेकिन एक ओर शांति बहाली की बात और दूसरी ओर सीमा पर फायरिंग जैसी घटनाओं ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास बनाए रखी है. कहा जाता है कि प्रधानमंत्री इमरान खान को पाक सेना का प्रश्रय है, ऐसे में क्या ऐसी किसी बातचीत से नतीजा निकलने के आसार बनेंगे?
फिलहाल शांति बहाली को लेकर पाकिस्तान का अब तक जो इतिहास रहा है उसके आधार पर यह मानना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि इस दिशा में कोई ठोस परिणाम आएगा. लेकिन बातचीत ही समाधान का सबसे बढ़िया विकल्प भी है.