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चीन का असर होगा कम? 16 देशों के साथ भारतीय नौसेना दिखाएगी ताकत

इस अभ्यास की एक बड़ी वजह ये है कि चीन के बढ़ते प्रभाव को किस तरह से कम किया जाए. साथ ही भारत के साथ आसियान देशों की ताकत का नमूना पेश करना भी इसका एक मकसद है.

6 मार्च से शुरू होगा अभ्यास 6 मार्च से शुरू होगा अभ्यास
जावेद अख़्तर/मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 6:40 PM IST

भारतीय नौसेना समंदर में एक बार फिर अपनी बढ़ती मारक क्षमता दिखाने जा रही है. अंडमान निकोबार में 6 से 13 मार्च के बीच होने वाले होने वाली बहुराष्ट्रीय अभ्यास मिलन 2018 में 16 देश हिस्सा ले रहे हैं.

चीन लागातार साउथ एशिया से लगे भारतीय समुद्री इलाकों में अपनी ताकत बढ़ा रहा है. चीन छोटे छोटे देशों को अपने बेस के लिए तैयार करने में जुटा है. साल 2008 से चीन ने अपने जहाजों को अलग-अलग वजह से भारतीय समुद्री क्षेत्रों में तैनात करता है. हर समय कम से कम 6 से 8 चीनी जहाज और पनडुब्बी मौजूद रहती हैं. नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने हिंद महासागर में चीनी नेवी की मौजूदगी पर कहा कि हम उन पर नजर बनाए हुए हैं.

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आंकड़ों पर गौर करें तो भारतीय महासागर क्षेत्र में दुनिया के 20 देशों के 120 जंगी जहाज हमेशा मौजूद रहते हैं. जो कि अपने अपने देश के कार्गो जहाज की सुरक्षा एंटी पायरेसी और अन्य कारणों के चलते हिंद महासागर इलाकों में मौजूद रहते हैं.

इस अभ्यास की एक बड़ी वजह ये नजर आती है कि चीन के बढ़ते प्रभाव को किस तरह से कम किया जाए. साथ ही भारत के साथ आसियान देशों की ताकत का नमूना पेश करना भी है.

हालांकि मालदीव की तरफ से भारत को एक और झटका मिला है. मालदीव ने भारतीय नौसेना अभ्यास मिलन 2018 के न्यौते को ठुकरा दिया है और इसकी कोई वजह भी नहीं बताई है. भारत और मालदीव के रिश्ते इस समय बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहे हैं. चीन के बढ़ते प्रभाव के चलते मालदीव की मौजूदा सरकार के भारत से रिश्ते तल्ख हैं.

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