
राहुल गांधी के साथ इस्लामिक विद्वानों की बैठक में शामिल होने वाले इरफान हबीब ने कहा कि उन्हें अल्पसंख्यक समाज के बुनियादी मसलों को उठाना चाहिए. 'आज तक' से बातचीत में गुरुवार को इरफान हबीब ने कहा कि बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष को मुसलमानों के बुनियादी मुद्दे को उठाने की सलाह दी गई. उन्होंने कहा कि सिख और ईसाई समुदाय की तरह मुसलमान भी इस देश के नागरिक हैं. मुसलमानों को भी उन्हीं समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनसे हरेक नागरिक को दो-चार होना पड़ता है. मुसलमानों के सामने गरीबी, बेरोजगारी और सुरक्षा का मुद्दा सबसे अहम है.बता दें कि राहुल ने बुधवार को मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की थी.
इरफान हबीब ने राहुल गांधी से कहा, मुसलमान भी आज खुद को उतना ही असुरक्षित महसूस कर रहा है जितना दलित. उसकी वजह क्या है, यह कुछ लोग जानते हैं जबकि इसे कुछ और लोगों को जानने की कोशिश करनी चाहिए.
इरफान हबीब ने कहा, 'अगर आप (राहुल) मुसलमानों की बात करना चाहते हैं तो उन लोगों की बात कीजिए जो दरकिनार किए गए हैं. आप उन्हें मुसलमान कह कर भी उनकी बात कर सकते हैं या यह भी कह सकते हैं जो गरीब और पिछड़े हैं और खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. तब लोगों को लगेगा कि आप देश की बात कर रहे हैं और सिर्फ अल्पसंख्यकों की बात नहीं कर रहे हैं.'
इतिहासकार ने कहा, जो लोग कांग्रेस या दूसरी पार्टियों पर अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का आरोप लगा रहे हैं, दरअसल वही लोग बहुसंख्यकों का तुष्टीकरण कर रहे हैं. उन्होंने कहा, क्या बहुसंख्यकों का तुष्टिकरण राष्ट्रवाद है?
इरफान हबीब ने राहुल गांधी को सलाह देते हुए कहा कि यह इस तरह का कैसेट है जिसे आप बार बार नहीं चला सकते हैं. आप इतिहास में नहीं जी सकते हैं और न ही उसे वापस ला सकते हैं, लेकिन उससे सबक ले सकते हैं. इंदिरा गांधी का जमाना वापस नहीं आ सकता. मगर उस जमाने से सबक लेते हुए कांग्रेस ने जो गलतियां की हैं, उसे सुधारने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि दूसरी पार्टियां भी जब मुसलमान की बात करती हैं तो वह दाढ़ी और टोपी वालों को ढूंढने निकल जाती हैं. वे ऐसे दाढ़ी टोपी वालों को लेकर आती हैं जिनका मुसलमानों से कोई संबंध नहीं है. वह लोग छोटी-छोटी संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्होंने अपनी दुकान बनाई हुई है.
इरफान हबीब ने कहा, ' मुझे नहीं लगता कि दाढ़ी टोपी वालों को मुसलमानों का प्रतिनिधि माना जाना चाहिए. दाढ़ी टोपी एक धार्मिक प्रतीक है. जो लोग दाढ़ी टोपी का इस्तेमाल करते हैं वह बुरे हैं और उनकी भी आलोचना होनी चाहिए जो साधु संतों को मंचों पर लाकर उनका इस्तेमाल करते हैं.'
इरफान हबीब ने धर्म के नाम पर की जाने वाली राजनीति पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि मुसलमान, धर्म और चर्च के नाम पर सियासत नहीं होनी चाहिए. इससे राजनीतिक ध्रुवीकरण होता है. ऐसी स्थिति में हिंदू,हिंदू बन जाता है. मुसलमान, मुसलमान बन जाता है और कोई हिंदुस्तानी नहीं रह जाता.
उन्होंने कहा, 'कल की बैठक में मैंने जिक्र किया कि चाहे वह पर्सनल लॉ हो, अलीगढ़ यूनिवर्सिटी हो या उर्दू का मसला हो, यह आम मुसलमानों के मुद्दे नहीं हैं. आम मुसलमानों का मुद्दा वही है जो आम हिंदुओं का है जिसमें रोजी रोटी और सुरक्षा पहले है.' इरफान हबीब ने कहा, 'हमने सलाह दी कि वह बुनियादी मसलों पर बात करें जिसमें शिक्षा रोजगार जैसे मसले शामिल हैं. राहुल गांधी इन मसलों पर सहमत थे और उन्होंने कहा भी कि वह भी ऐसा ही सोचते हैं.'
राहुल कर रहे हैं पार्टी में सुधार
बकौल इरफान हबीब, 'राहुल गांधी ने कहा कि हम सुधार कर रहे हैं और कोशिश करेंगे कि इन मुद्दों को उठाएं.' उन्होंने बताया, 'सब की बात सुनने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि हम सुधार करेंगे और हमें पता है कि हमने कहां गलतियां की हैं. उन गलतियों को हम ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं सब को साथ ले चलने की बात कर रहे हैं.'
कुल मिलाकर ऐसा लगा कि शायद आत्मचिंतन की बात है और कांग्रेस अकेले अपने बलबूते पर सिर्फ लड़ाई नहीं लड़ सकती है. उसे मिल-जुलकर लड़ाई लड़नी पड़ेगी और ऐसा आत्मचिंतन दिखाई पड़ रहा है. यह सही भी है क्योंकि जिन राज्यों में कांग्रेस अपने बलबूते अकेले लड़ सकती है, उसके अलावा राज्यों में उसे क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लेकर चलना ही होगा.
हिंदुत्व की अनदेखी न करें
स्वामी चक्रपाणी ने कांग्रेस अध्य़क्ष राहुल गांधी को सलाह दी है कि वह मानसरोवर की यात्रा पर जाएं. मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कहीं न कहीं हिंदुओं की उपेक्षा की है. कांग्रेस ने ही भगवा आतंकवाद का नाम दिया और उसने ही सेतु समुद्रम के के खिलाफ कोर्ट में हलफनामा दिया था. आज मोदी प्रधानमंत्री और योगी मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन ताकत उन में नहीं बल्कि वह ताकत हिंदुत्व में है. इस बात को समझना होगा कि आप सबको साथ लेकर चलिए लेकिन हिंदुत्व को अनदेखा मत कीजिए.