
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए लगातार नई कोशिशों में जुटे हैं, और एक के बाद एक नई परंपरा की शुरुआत करने में लगे हैं. राहुल ने कॉरपोरेट की तर्ज पर अब पार्टी के पदाधिकारियों से हर महीने अपने कामकाज का रिपोर्ट कार्ड जमा कराने का निर्देश दिया है.
सूत्रों के मुताबिक पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने पार्टी के सभी सचिवों खासकर उन युवा सचिवों और पदाधिकारियों से अपने दौरों और कार्य का लेखा-जोखा मांगा है जिनको राहुल गांधी ने नियुक्त किया है.
सूत्रों का कहना है कि एक बार पद पा जाने के बाद नेताओं की प्रवृत्ति लंबे समय तक कांग्रेस दफ्तर में जमे रहने की रही है, जिसे अब पार्टी का शीर्ष स्तर बदलना चाह रहा है. जाहिर है कांग्रेस अध्यक्ष का नया फॉर्मूला है कि काम करो वरना पद छोड़ो.
कांग्रेस पार्टी से जुड़े पदाधिकारियों को हर महीने की 10 तारीख तक पिछले महीने के काम का विवरण संगठन महासचिव अशोक गहलोत को देना होगा. इसके बाद यह रिपोर्ट 15 तक राहुल गांधी के दफ्तर भेजा जाएगा.
रिपोर्ट में नेताओं के लिए यह बताना जरुरी होगा कि एक महीने में उन्होंने ने कितने दौरे किए और कितने दिन दिल्ली से बाहर दौरे पर रहे. साथ इन अधिकारियों को इस रिपोर्ट में यह जानकारी देनी होगी कि उन्होंने पिछले एक महीने में कितनी बैठकें और प्रदर्शन-धरना किया.
इसके अलावा उन्हें यह भी बताना होगा कि युवाओं को पार्टी की गतिविधियों में शामिल करने के लिए क्या किया गया.
फिलहाल यह विस्तृत रिपोर्ट नेता को खुद ही लिखकर देना होता है, लेकिन अगले कुछ दिनों में पार्टी की तरफ से एक प्रोफार्मा भी बनाया जाएगा जिसे पदाधिकारियों को भरकर देना होगा.
पार्टी के शीर्ष स्तर की ओर से यह कवायद इसलिए शुरू की गई है ताकि पद पाने वालों की जवाबदेही तय की जा सके. मतलब साफ है कि अब मठाधीश बने रहने की बजाए नेताओं को जमीन पर निकलना होगा वरना संगठन से उनकी छुट्टी तय है.