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संसद के मॉनसून सत्र की घोषणा हो चुकी है. राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन का कार्यकाल भी 30 जून को समाप्त हो रहा है. लिहाजा राज्य सभा के उपसभापति के चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. कहा जा रहा है कि उपसभापति उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने का मन बना रही है.
कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं
245 सदस्यीय राज्यसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 51 ही रह गई है. ऐसे में कांग्रेस के पास अपना उम्मीदवार जिता पाने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है. लिहाजा कांग्रेस की कोशिश किसी ऐसे विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन करने की है जिसके साथ ज्यादा से ज्यादा गैर बीजेपी दलों को इकट्ठा किया जा सके.इसे पढ़ें: मॉनसून सत्र : क्या संयुक्त विपक्ष को हराने के लिए समझौता करेगी मोदी सरकार?
तृणमूल कांग्रेस का समर्थन कर सकती है कांग्रेस
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुखेंदू शेखर राय को समर्थन देने का मन बना रही है. कांग्रेस ने इस रणनीति पर काम करते हुए पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अपने धुर विरोधी टीएमसी और बीजेडी के साथ बातचीत के रास्ते खोल दिये हैं. विपक्षी दलों में सबसे बड़ा दल होने के बावजूद किसी गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को समर्थन करने के पीछे कांग्रेस की मंशा ये है कि ज्यादा से ज्यादा गैर बीजेपी दलो को एक साथ लाया जा सके.
कांग्रेस के इस दांव से तेलंगाना और आंध्र में कांग्रेस के विरोधी टीआरएस और टीडीपी को भी कोई परेशानी नहीं होगी. बता दें कि दोनों दल पहले से ही इस मामले को लेकर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के संपर्क में हैं. वहीं तृणमूल के राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन इस सवाल पर बचते नजर आए, बुधवार को दिए अपने एक बयान में डेरेक ने कहा है कि उपसभापति के विपक्षी उम्मीदवार के नाम पर अभी फैसला नहीं किया गया है. हमने किसी का नाम नहीं लिया है. संयुक्त विपक्ष बाद में इस नाम के साथ सामने आएगा.
उपराष्ट्रपति वेंकया नायडू ने दी है चाय पार्टी
राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने 1 जुलाई को चाय पार्टी का आयोजन किया है. ये पार्टी उपसभापति पी जे कुरियन को विदाई देने के लिए दी गई है. जिसमें सभी दलों को आमंत्रित किया गया है. कहा जा रहा है कि इस पार्टी के साथ ही उपसभापति चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी और तेज होगी. ग़ौरतलब है कि राज्य सभा में एक जुलाई की स्थिति में सत्ताधारी भाजपा के पास 69 सदस्य होंगे. जबकि कांग्रेस के 50 सदस्य रह जाएंगे. और अपना उपसभापति बनवाने के लिए 123 सदस्यों की ज़रूरत है.
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव संयुक्त विपक्षी एकता के लिए बड़ी परीक्षा होगी. वहीं कर्नाटक से कैराना तक एकजुट विपक्ष के आगे मुंह की खा चुकी बीजेपी से लिए भी राज्यसभा में अपना दबदबा बरकरार रखना भी प्रतिष्ठा का सवाल है.