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JNU छात्रों को शिवसेना का साथ, प्रियंका का ट्वीट- हर लोकतंत्र में जायज है प्रदर्शन

इस मामले को संसद में भी उठाया गया. महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर उठापटक के बीच अब शिवसेना ने भी इस मसले पर सरकार को घेरा है. शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने बुधवार सुबह इस मसले पर ट्वीट किया और दिल्ली पुलिस के व्यवहार पर सवाल खड़े किए.

JNU मामले में प्रियंका चतुर्वेदी का ट्वीट JNU मामले में प्रियंका चतुर्वेदी का ट्वीट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST

  • जेएनयू छात्रों को शिवसेना का समर्थन
  • प्रियंका चतुर्वेदी का ट्वीट- प्रदर्शन जायज
  • फीस बढ़ोतरी पर बहस का भी समर्थन

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हॉस्टल फीस के मुद्दे पर राजनीतिक बवाल बढ़ रहा है. इस मामले को संसद में भी उठाया गया. महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर उठापटक के बीच अब शिवसेना ने भी इस मसले पर सरकार को घेरा है. शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने बुधवार सुबह इस मसले पर ट्वीट किया और दिल्ली पुलिस के व्यवहार पर सवाल खड़े किए.

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प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया, ‘जेएनयू छात्रों का विरोध करना किसी भी लोकतंत्र में सही है, जबतक कि ये शांतिपूर्ण तरीके से हो. फीस बढ़ोतरी पर? ये सही है या गलत इसपर बहस हो सकती है.’ प्रियंका ने लिखा, ‘दिल्ली पुलिस के द्वारा छात्रों के प्रदर्शन को रोकने के लिए लाठीचार्ज करना, इस बात का संकेत है कि व्यवस्था किसी तरह के विरोध को संभालने में असमर्थ है.’

संसद में भी उठ चुका है मसला

गौरतलब है कि इस मसले पर अन्य राजनीतिक दलों ने भी JNU छात्रों का समर्थन किया है और सरकार से अपील की है कि हॉस्टल फीस में की गई बढ़ोतरी को वापस लिया जाए.

मंगलवार को BSP सांसद दानिश अली ने इस मसले को संसद में उठाया था, लेकिन मामला लिस्ट ना होने के कारण इसपर विस्तार से चर्चा नहीं हो सकी. बुधवार को भी कुछ सांसदों ने इस मसले पर सदन में नोटिस दिया है.

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मंत्रालय की कमेटी से मिले छात्र

प्रदर्शन के बाद JNU छात्र बुधवार को HRD मंत्रालय द्वारा बनाई गई विशेष कमेटी से मुलाकात कर रहे हैं. छात्रों की समस्या सुनने के लिए मंत्रालय ने कमेटी बनाई थी. इस दौरान छात्र फिर एक बार सरकार से बढ़ाई हुई फीस को वापस लेने को कह सकते हैं. मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में छात्रों ने JNU के VC के इस्तीफे की मांग की थी, क्योंकि पिछले करीब एक महीने से उन्होंने छात्रों की बात नहीं सुनी है.

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