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JNUTA और JNU छात्र संघ का संसद तक पैदल मार्च, पुलिस से झड़प

जेंडर जस्टिस, शिक्षा का अधिकार, विचार विमर्श और असहमत होने के अधिकार को लेकर छात्र रैली निकाल रहे हैं. एक दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा है सीट कटौती. एक अनुमान के मुताबिक 1100 के करीब सीटों में कटौती कर 300 कर दिया गया है.

छात्रों और पुलिस में झड़प छात्रों और पुलिस में झड़प
वरुण शैलेश/पुनीत शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:09 AM IST

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक आज यूनिवर्सिटी कैम्पस से संसद तक रैली निकाल रहे हैं. दोपहर बाद 2 बजे से शुरू हुए पैदल मार्च में दो हजार से ज्यादा छात्र शामिल हैं. यौन उत्पीड़न, क्लास में अनिवार्य उपस्थिति, सीट कटौती समेत तमाम मुद्दों को लेकर छात्रों और शिक्षकों में जेएनयू प्रशासन के खिलाफ नाराजगी है. प्रदर्शनकारी छात्र यौन उत्पीड़न के आरोपी शिक्षक अतुल जौहरी की बर्खास्तगी की भी मांग कर रहे हैं. पैदल मार्च के दौरान छात्रों और तैनात पुलिस से झड़प की सूचना है.

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छात्रों से पुलिस की झड़प

सूचना के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल और पुलिसकर्मी तैनात हैं. जोरदार नारेबाजी और पुलिस के साथ झड़प के बीच छात्रों ने बैरेकेटिंग तोड़ने की कोशिश की. दरअसल, छात्रों और शिक्षकों का पैदल मार्च आईएनए मार्केट के रास्ते होते हुए संसद की तरफ बढ़ रहा था, जहां पुलिस ने बैरिकेटिंग लगा रखी थी. इसी बैरेकेटिंग को तोड़कर छात्र आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे और इस दौरान पुलिस से झड़प हो गई. बाद में पुलिस को पानी की बौछार का इस्तेमाल करना पड़ा. कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया है.

23 छात्रों को हिरासत में लिया

वहीं पुलिस ज्वॉइन्ट सीपी अजय चौधरी ने बताया कि छात्रों को मार्च की अनुमति नहीं दी गई थी, लेकिन छात्रों ने ऐसा किया. 23 छात्रों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा कि छात्रों के पहले ही मना किया गया था कि वो संसद तक मार्च नहीं कर सकते तो उन्होंने ये बात मानी थी कि जहां भी उनको रोका जाएगा वे वहीं रुक जाएंगे.

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अजय चौधरी ने कहा कि मगर छात्रों ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की और पुलिस वालों को भी चोट आई है. इसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. अब छात्र यहीं बैठ गए हैं और उनसे बात की जा रही है. उनका कहना है कि जब तक हिरासत में लिए गए छात्रों को छोड़ा नहीं जाएगा वह तब तक यहीं बैठे रहेंगे.

पत्रकार से बदसलूकी

इधर एक अंग्रेजी अखबार की पत्रकार ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के INA पर जेनएयू छात्रों के प्रदर्शन के दौरान उसके साथ SHO दिल्ली कैंट ने बदसलूकी की और बदतमीजी की. महिला पत्रकार ने इस सिलसिले में एसएचओ के खिलाफ दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत दी है.

इन मुद्दों को लेकर है नाराजगी

जेंडर जस्टिस, शिक्षा का अधिकार, विचार विमर्श और असहमत होने के अधिकार को लेकर छात्र रैली निकाल रहे हैं. एक दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा है सीट कटौती. एक अनुमान के मुताबिक 1100 के करीब सीटों में कटौती कर 300 कर दिया गया है. छात्रों में नए दाखिला प्रक्रिया को लेकर भी नाराजगी है. एमफील, पीएचडी के लिए हुए प्रवेश परीक्षा में मजह 4 छात्र को ही चुना गया जिन्हें वाइवा के बाद एफफील में दाखिला दिया जाएगा. यह भी तय नहीं है इन चार छात्रों में से कितने को चुना जाएगा. शिक्षकों के रिक्त पदों को लेकर भी असंतोष का माहौल देखा जा रहा है. इसी तरह आरक्षण के मुद्दे पर जेएनयू प्रशासन सवालों के घेरे में है.   

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इससे पहले इस विरोध मार्च में शामिल होने के लिए अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों से भी अपील की गई थी. इस मार्च की जानकारी जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष गीता ने शुक्रवार को दी थी.

बता दें कि यौन उत्पीड़न मामले के अलावा भी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कई मुद्दों पर प्रशासन के साथ शिक्षकों और छात्रों के मतभेद चल रहे हैं. 75 फ़ीसदी अटेंडेंस के अलावा यूजीसी के कई फैसलों का विरोध हो रहा है, जिसमें हाल में ही 2 उच्च शिक्षण संस्थानों को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करने के फैसला भी शामिल है. इसी वजह से जेएनयू स्टूडेंट यूनियन और टीचर्स असोसिएशन इन मुद्दों पर संसद तक मार्च कर रहा है.

छात्रों में इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि यौन उत्पीड़न के आठ आरोप लगने के बाद भी अतुल जौहरी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है.  इसी तरह जेएनयू शिक्षकों की नाराज़गी इस बात पर है कि प्रशासन उनसे सलाह लिए बग़ैर एक के बाद एक नए नियम क्यों बनाए जा रहा है?  2016 के बाद से वहां ऐसे कई नियम बनाए गए हैं जिन पर शिक्षकों और छात्रों को एतराज़ है.

टीचर्स एसोसिएशन की प्रेसीडेंट सोनाझरिया मिन्ज़ का कहना है कि कई सारे मुद्दे हैं जिसके लिए यह मार्च निकाला जा रहा है. इसमें 75 फ़ीसदी अटेंडेंस की खिलाफत करने की वजह से 7 चेयरपर्सन को हटाने के नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग शामिल है.

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सोनाझरिया मिन्ज़ के अनुसार अन्य मांगों में एग्ज‍िक्यूटिव काउंसिल के उस फैसले को वापस लेना भी शामिल है, जिसमें शिक्षकों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए कमेटी बनानेकी बात कही गई है. जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन के सचिव सुधीर कुमार ने भी इन मार्च में शामिल होने के लिए दूसरे टीचर्स असोसिएशन से अपील की थी.

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