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सांसदों के पूछने पर कि नोटबंदी का आतंकवादी घटनाओं और नक्सलवादी घटनाओं पर क्या प्रभाव पड़ा तो गृह मंत्रालय की तरफ से जवाब मिला कि नोटबंदी की वजह से जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी और देश अन्य राज्यों में जारी सरकार विरोधी गतिविधियों में कमी आई. लोक सभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 1 नवंबर 2015 से 31 अक्टूबर 2016 के बीच देश के आंतरिक क्षेत्रों में आतंकवादी घटनाओं की संख्या सिर्फ 1 रही जबकि 1 नवंबर 2016 से 31 अक्टूबर 2017 के बीच देश के आंतरिक क्षेत्रों में आतंकवादी घटनाओं की संख्या शून्य रही.
गृह मंत्रालय ने जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की संख्या का ब्यौरा देते हुए कहा कि 1 नवंबर 2015 से 31 अक्टूबर 2016 के बीच 311 आतंकवादी घटनाएं हुई वहीं 1 नवंबर 2016 से 31 अक्टूबर 2017 के बीच जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की संख्या 341 हो गई. इसके अलावा वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं की संख्या पिछले सालों की अपेक्षा नोटबंदी के बाद काफी कम हुई. इसके पहले 1 नवंबर 2015 से 31 अक्टूबर 2016 के बीच 1078 वामपंथी उग्रवाद संबंधी घटनाएं हुईं थीं.
गृह मंत्रालय का लिखित जवाब में यह कहना है कि आतंकवाद कम हुआ है लेकिन आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है. केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर ने लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादियों और उनके समर्थकों से 90 लाख रुपये जब्त किए गए हैं. साथ ही 8 नवंबर 2016 से 29 नवंबर 2016 के बीच 564 नक्सलियों और उनके समर्थकों ने सरेंडर किया.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने बताया कि 1 नवंबर 2016 से 31 अक्टूबर 2017 के बीच जम्मू-कश्मीर में 341 आतंकी घटनाएं हुईं. जबकि इससे पिछले साल इसी दौरान 311 आतंकी घटनाएं घटीं थीं. इसी तरह से 1 नवंबर 2016 से 31 अक्टूबर 2017 के बीच 857 नक्सली घटनाएं ही घटीं थीं.