
कश्मीर घाटी में युवकों को चरमपंथी संगठन में शामिल होने से रोकने की सरकार की नीति कारगर साबित होती हुई नहीं दिख रही है. शनिवार को शोपियां के दो और युवक आतंकी संगठनों में शामिल हो गए. शोपियां के समीर अहमद सेह नाम का युवा अलबदर में शामिल हुआ है, जबकि आदिल अहमद ने जजवातुल हिंद ज्वॉइन किया है.
गौरतलब है कि बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पूरा कश्मीर आंदोलित हो उठा था और खास कर युवाओं ने हिज्बुल सहित विभिन्न आतंकी संगठनों की सदस्यता ली थी. यह दौर अब भी जारी है. सीमा पार से आतंकी संगठनों को मिलने वाली मदद पर रोक लगाने का दावा किया गया, लेकिन फिर भी इसमें सफलता मिलती हुई नहीं दिख रही है.
कश्मीर में केंद्र की आक्रामक नीति बहुत कारगर नहीं दिख रही है. घाटी में और ज्यादा युवा आतंकी संगठनों से जुड़ रहे हैं. साल दर साल आतंक की पाठशाला में घाटी के युवाओं की दाखिला लेने की संख्या बढ़ रही है. पीडीपी के साथ बीजेपी की गठबंधन सरकार के लिए ये बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.
आतंकी संगठनों में शामिल होते युवा
- 2015 में 66 नए युवा आतंकवादी बनें, जबकि 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए.
- 2016 में 88 युवा आतंकवादी बनें, जबकि 150 आतंकी मारे गए.
- 2017 में 126 युवा आतंकी बनें, जबकि 213 आतंकी मारे गए.
- 2018 में 48 युवाओं ने अब तक आतंकी संगठनों का दामन थामा जबकि अप्रैल में 16 आतंकी और पिछले चार महीनों में 63 आतंकी मारे गए. इनमें 34 स्थानीय लोग भी शामिल हैं.