Advertisement

SC: वरिष्ठता को लेकर विवाद के बीच जस्टिस जोसेफ समेत 3 जजों ने ली शपथ

उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ ने साल 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने वाले मोदी सरकार के फैसले को पलट दिया था. जिसके बाद से वह चर्चा का केंद्र रहे हैं.

जस्टिस के. एम. जोसेफ (फाइल फोटो) जस्टिस के. एम. जोसेफ (फाइल फोटो)
मोहित ग्रोवर/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 12:08 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर काफी लंबे समय तक चले विवाद के बीच जस्टिस के. एम. जोसेफ समेत कुल तीन जजों ने आज देश की सबसे बड़ी अदालत के जज के रूप में शपथ ली. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने अपने अदालत कक्ष में आयोजित पारंपरिक समारोह में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस के एम जोसेफ को पद की शपथ दिलाई.

Advertisement

इन तीन नियुक्तियों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 25 हो गई है जबकि सुप्रीम कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 31 हैं. यानी अभी भी छह पद खाली हैं. जस्टिस इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के 68 साल के इतिहास में आठवीं महिला जज हो गई हैं साथ ही पहली बार ऐसा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन महिला जज होंगी. इससे पहले एक समय मे अधिकतम दो महिला जज ही सुप्रीम कोर्ट में रही हैं.

वरिष्ठता को लेकर हुआ विवाद

हालांकि, शपथ से पहले भी इसको लेकर विवाद रहा. कई वरिष्ठ जजों ने जस्टिस के. एम. जोसेफ की वरिष्ठता घटाने को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की है. लेकिन केंद्र अपने रुख पर अडिग है, इसलिए आज शपथ ग्रहण पूर्व में तय कार्यक्रम के आधार पर ही हुआ.

Advertisement

इस मामले को लेकर सोमवार को कई सीनियर जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा से मुलाकात की थी. चीफ जस्टिस ने उन्हें मामले को केंद्र के सामने उठाने की बात भी कही थी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में तीन जज नियुक्त होने के मामले में उतराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. एम. जोसेफ को वरिष्ठता के क्रम में तीसरे नंबर पर रखा गया है. जिसको लेकर आपत्ति जताई जा रही है.

इस मामले में केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक वरीयता इस आधार पर तय की गई है कि तीनों में पहले हाई कोर्ट का जज कौन बना ना कि इस आधार पर की पहले तीनों जजों में से हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस कौन बना.

कौन कब बना जज?

जस्टिस इंदिरा बनर्जी 5 फ़रवरी 2002,

जस्टिस विनीत सरन 14 फ़रवरी 2002,

जस्टिस के एम जोसेफ 14 अक्टूबर 2014,

आपको बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ, मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत सरन को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति करने की अधिसूचना जारी की गई थी. नई नियुक्तियों के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायमूर्तियों की संख्या 25 हो गई, लेकिन अब भी छह पद रिक्त हैं.

न्यायमूर्ति बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आठवीं महिला न्यायमूर्ति हैं. वहीं जस्टिस जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को लेकर पांच सदस्यीय कोलेजियम और केंद्र सरकार के बीच पिछले कई महीनों से मतभेद चल रहे थे.

Advertisement

कई जज उठा चुके हैं सवाल

आपको बता दें कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के कई मौजूदा और पूर्व जज अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं. जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट की गरिमा बचाने और सरकार की मनमानी रोकने के उपाय करने पर ज़ोर दिया था. इन उपायों की तलाश के लिए फुलकोर्ट यानी सभी जजों की मीटिंग बुलाने की मांग की थी.

जिस दौरान कोलेजियम ने जस्टिस के. एम. जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी, तब सरकार ने कई तरह के तर्क देकर उनका नाम वापस कर दिया था. लेकिन अब लगता है कि सरकार राजी हो गई है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement