
मौसम विभाग ने जाड़ों के मानसून के दौरान दक्षिण भारत में सामान्य या सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान लगाया है. ऐसा अनुमान लगाया गया है कि अक्टूबर से दिसंबर के दौरान दक्षिण भारत में बारिश सामान्य के मुकाबले 90 से 100 फीसदी के बीच रहेगी. यानी दक्षिण भारत में इस बार जाड़ों के सीजन में बारिश सामान्य से कम रहने की उम्मीद है.
बारिश कम रहने का अनुमान इस वजह से है कि इस बार प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थितियां अभी तक नहीं बनी हैं. समंदर की सतह का तापमान अभी न्यूट्रल कंडीशन्स की तरफ इशारा कर रहा है. इन स्थितियों में मानसून के बाद अब जाड़ों के मानसून में बारिश कम रहने की संभावना बढ़ गई है.
अक्टूबर से दिसंबर के दौरान तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, केरल और दक्षिण कर्नाटक के अंदरूनी हिस्से में उत्तर-पूर्वी हवाओं के जरिए बारिश होती है. इसे नॉर्थ-ईस्ट मानसून या जा़ड़ों का मानसून कहा जाता है. तमिलनाडु को छोड़कर इऩ सभी राज्यों में सालाना बारिश का तकरीबन एक तिहाई हिस्सा जाड़ों के मानसून से आता है. तमिलनाडु में जाड़ों के मानसून से कुल सालाना बारिश की तकरीबन आधी बारिश होती है. इसका सीधा मतलब ये हुआ कि अक्टूबर से दिसंबर के दौरान होने वाली बारिश दक्षिणी राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है.
उत्तर-पूर्वी मानसून के दौरान दक्षिण भारत में तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, केरल और दक्षिण कर्नाटक के अंदरूनी भाग में हर साल अमूमन 332.1 मिलीमीटर बारिश होती है. इस बार ऐसा अनुमान है कि इन सभी इलाकों में बारिश सामान्य से कम रहेगी. यानी इन इलाकों में नदियों के पानी को लेकर मारामारी जारी रह सकती है. तमिलनाडु की बात करें तो अक्टूबर से दिसंबर के दौरान यहां पर अमूमन 438.2 मिलीमीटर की सामान्य बारिश होती है. इस बार इन तीनों महीनों में तमिलनाडु में भी बारिश कम होने की उम्मीद है.