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मक्का मस्जिद केसः NIA पर जावेद अख्तर की तल्ख टिप्पणी, नाराज BJP ने साधा निशाना

जावेद अख्तर के इस ट्वीट के बाद बीजेपी की ओर से भी जवाब दिया गया. पार्टी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि आपको कांग्रेस की ओर से 'हिंदू आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर ईमानदारी से आलोचना करनी चाहिए थी.

गीतकार जावेद अख्तर (फाइल फोटो) गीतकार जावेद अख्तर (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST

11 साल पुराने मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों के दोषमुक्त होने पर प्रख्यात फिल्मकार और गीतकार जावेद अख्तर ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पर अपना निशाना साधा है. अख्तर ने एनआईए पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उसने काम पूरा कर लिया है और उसे इसकी बधाई. अब उसके पास अंतरधार्मिक शादियों की जांच के लिए पर्याप्त समय होगा. हालांकि उनकी इस टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से पलटवार किया गया है.

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मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में फैसला आने के बाद जावेद अख्तर ने ट्वीट कर निराशा जाहिर की. उन्होंने लिखा, 'मिशन पूरा हुआ!! मक्का मस्जिद मामले में भव्य सफलता के लिए एनआईए को मेरी ओर से बधाई. अब उनके पास अंतरधार्मिक शादियों की जांच करने का पर्याप्त समय होगा.'

जावेद अख्तर के इस ट्वीट के बाद बीजेपी की ओर से भी जवाब दिया गया. पार्टी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि आपको कांग्रेस की ओर से 'हिंदू आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर ईमानदारी से आलोचना करनी चाहिए थी. ऐसा लगता है कि फिल्मों में आपने जैसी फिक्शनल स्क्रिप्ट लिखी, राहुल गांधी उसी से प्रेरणा ले रहे हैं. या 'मौत का सौदागर' की तरह 'हिंदू आतंकवाद' शब्द भी आपका विचार लग रहा है.

बीजेपी के ही एक अन्य प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी जावेद अख्तर को जवाब दिया. उन्होंने कहा, 'जावेद जी विद्वान हैं. उन्हें उस समय भी सवाल उठाना चाहिए था कि कांग्रेस ने क्यों 'हिंदू आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल किया. उस समय सवाल क्यों करते जब मुस्लिमों को आरोपी करार दिया जाता है.'

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उन्होंने आगे कहा, 'हम कांग्रेस पर बिना किसी ठोस कारण के आलोचना नहीं करते. इसके पर्याप्त कारण हैं कि क्यों उन्हें ऐसे सवालों का सामना करना पड़ता है.'

सभी आरोपी बरी

साल 2007 में हैदराबाद की ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट मामले में जुमे की नमाज के दौरान हुए धमाके के मामले में NIA की विशेष कोर्ट ने सोमवार को सबूतों के अभाव में असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को बरी कर दिया. 11 साल पहले 18 मई 2007 को हुए इस धमाके में करीब 9 लोगों की मौत हुई थी और 58 लोग घायल हो गए थे. पिछले 11 सालों में इस मामले में कई तरह के नाटकीय मोड़ आए. कई गवाह अपने बयान से पलटे जिस कारण सभी आरोपी बरी कर दिए गए.

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