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Modi@4: बीजेपी के अंदर पीएम नरेंद्र मोदी के ये हैं पांच ‘शत्रु’

मोदी के खिलाफ बीजेपी के अंदर से आवाज उठाने वाले कई नेता पार्टी के काफी पुराने नेता हैं जो उनपर संगठन पर कब्जे तक के आरोप लगाते रहे. यहां ऐसे ही पांच नेताओं के बारे में बात की जा रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:14 AM IST

नरेंद्र मोदी सरकार के 4 साल पूरे हो गए हैं. इस दौरान तमाम सुधारवादी कदमों, सियासी प्रयोगों और ब्रांड मोदी की चुनावी उपलब्धियों के साथ-साथ सरकार को लगातार विरोध का भी सामना करना पड़ा है. खास बात ये है कि विपक्ष के साथ-साथ मोदी सरकार के खिलाफ बीजेपी के अंदर से भी लगातार आवाजें उठीं.

2014 के आम चुनाव से लेकर त्रिपुरा-गुजरात के चुनावों तक जहां मोदी-शाह ब्रांड का जलवा रहा वहीं पार्टी के अंदर से विरोध में आवाजें भी बुलंद होती रहीं. मोदी के खिलाफ बीजेपी के अंदर से आवाज उठाने वाले कई नेता पार्टी के काफी पुराने नेता हैं जो उनपर संगठन पर कब्जे तक के आरोप लगाते रहे. यहां ऐसे ही पांच नेताओं के बारे में बात की जा रही है.

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शत्रुघ्न सिन्हा

2014 में मोदी सरकार बनने और टीम मोदी में जगह नहीं मिल पाने के बाद से अब तक बिहार से बीजेपी सांसद और पूर्व अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा मोदी के सबसे बड़े आलोचक बने रहे हैं. वे मोदी के हर फैसले, हर कदम का अपने बयानों से या सोशल मीडिया के जरिए खुलकर विरोध करते हैं. पीएनबी घोटाले को लेकर शत्रुघ्न सिन्हा ने सीधे पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पीएम मोदी को अब देश के सामने आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सवालों के जवाब देने चाहिए.

पिछले महीने फिर शॉटगन के नाम से मशहूर बीजेपी नेता ने संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने के आरोप लगाए और सीधा मोर्चा खोलते हुए कहा- प्रधानमंत्री मोदी चाहे जितने कपड़े बदलकर और विदेश यात्रा करके वाहवाही लूटें, लेकिन देश में जो भी हालात बिगड़ रहे हैं उसके लिए उन्हें ही गाली मिलेगी, क्योंकि ताली अगर कप्तान को तो गाली भी कप्तान को.

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लगातार आलोचना करते रहने के बावजूद शत्रुघ्न सिन्हा जहां बीजेपी में बने रहे वहीं विरोधी आरजेडी नेता लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी का लगातार समर्थन भी करते रहे. केजरीवाल समेत तमाम मोदी विरोधी नेताओं से मिलते रहे. लेकिन पार्टी छोड़ने के सवाल पर शॉटगन ने कहा कि बीजेपी उनकी पहली और आखिरी पार्टी है.

यशवंत सिन्हा

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और अटल सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा 2014 में चुनावी राजनीति से अलग हो गए थे. उनकी जगह उनके बेटे जयंत सिन्हा को पार्टी ने हजारीबाग से चुनाव लड़ाया जो अब भी मोदी सरकार में मंत्री हैं. लेकिन यशवंत सिन्हा लगातार मोदी के खिलाफ मोर्चा खोले रहे.

पिछले महीने यशवंत सिन्हा ने बीजेपी से नाता तोड़ने का ऐलान किया और विपक्ष के कई नेताओं के साथ मिलकर राष्ट्र मंच बनाया. सिन्हा ने ऐलान किया कि मोदी सरकार की गलत नीतियों से देश को बचाएंगे. इसी हफ्ते यशवंत सिन्हा ने पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर हमला बोलते हुए कहा कि आज की भाजपा सिर्फ दो लोगों की पार्टी बनकर रह गई है.

यशवंत ने कहा कि जेटली ने 4 साल में देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में ला दिया. पिछले साल यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था को लेकर विस्तृत लेख लिखा था और कहा- ‘’आज अर्थव्यवस्था की क्या हालत है? निजी निवेश गिर रहा है. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन सिकुड़ रहा है. कृषि संकट में है, कंस्ट्रक्शन और दूसरे सर्विस सेक्टर धीमे पड़ रहे हैं, निर्यात मुश्किल में है, नोटबंदी नाकाम साबित हुई और गफ़लत में लागू किए गए जीएसटी ने कइयों को डुबो दिया, रोज़गार छीन लिए. नए मौके नहीं दिख रहे.''

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शांता कुमार

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के नेता शांता कुमार ने इसी साल फरवरी माह में मोदी सरकार के खिलाफ अप्रत्यक्ष हमला बोला. उन्होंने कहा कि मोहम्मद गौरी, गजनी और अंग्रेजों ने भारत को लूटा था, लेकिन अब अपने ही लोग लूट रहे हैं. लूटने वाले भी अपने हैं और लुटने देने वाली सरकार भी अपनी है.

उन्होंने कहा कि करोड़ों-अरबों रुपया कुछ बड़े उद्योगपतियों को उधार देकर लुटाया जा रहा है. ऐसे रसूखदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होती. जबकि गरीब किसान उधार लेता है और उसकी फसल बर्बाद होती है तो भी उस पर सख्त कार्रवाई होती है. सिर्फ गरीब किसानों तक सीमित कार्रवाई का ही नतीजा है कि तीन लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं.

सावित्री बाई फुले

यूपी के बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले अपनी ही पार्टी के लिए नई चुनौती हैं. दलित समुदाय से आने वाली सावित्री बाई फुले ने एससी/एसटी एक्ट में बदलावों को लेकर अपनी ही पार्टी और मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. फुले ने पिछले महीने अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया और लखनऊ में ‘संविधान व आरक्षण बचाओ महारैली’ का आयोजन किया.

इस दौरान उन्होंने कहा कि आरक्षण कोई भीख नहीं बल्कि प्रतिनिधित्व का मामला है. अगर आरक्षण को खत्म करने का दुस्साहस किया गया तो भारत की धरती पर खून की नदियां बहेंगी. सावित्री बाई फुले ने कहा- संविधान और आरक्षण खतरे में हैं. मैं सांसद रहूं या न रहूं लेकिन संविधान के साथ छेड़छाड़ नहीं होने दूंगी. दलितों के खिलाफ हिंसा और एससी/एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर घिरी मोदी सरकार के लिए ये हमला घर के अंदर से हुआ और काफी असहज करने वाला था.

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कीर्ति आजाद

बीजेपी के तेजतर्रार सांसद और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने 2015 में दिल्ली जिला क्रिकेट संघ-डीडीसीए में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ मोर्चा खोला. इसके बाद वे बीजेपी से निलंबित कर दिए गए. उन्होंने पीएम मोदी से सवाल पूछा कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना उनकी गलती थी?

नोटबंदी के फैसले के खिलाफ भी कीर्ति आजाद ने आवाज बुलंद की और कहा कि बिना तैयारी के किए गए फैसले के कारण लोगों को काफी परेशानी हुई. उन्होंने कहा- नोटबंदी से किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, छोटे व्यापारियों, ज्वैलर्स समेत अनेक लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, यहां तक कि सब्जी विक्रेताओं तक को सही दाम नहीं मिल रहे. पिछले हफ्ते कीर्ति आजाद लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव से मिले और तेजस्वी की तारीफ करते हुए उन्हें बिहार की राजनीति का ‘वंडर बॉय’ कहा.

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