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जानिए क्या थी किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें?

किसानों की भलाई की बात सामने आते ही सबसे पहले स्वामीनाथन रिपोर्ट सभी के जहन में आती है. किसान संगठन हर बार स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की मांग करते रहे हैं. यहां समझें आखिर क्या थी वह स्वामीनाथन रिपोर्ट...

प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन (फाइल) प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन (फाइल)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने किसानों के हक में बड़ा फैसला लिया है. सरकार की ओर से खरीफ की फसलों के दामों में एमएसपी के ऐतिहासिक बढ़ोतरी की गई है. किसानों की भलाई की बात सामने आते ही सबसे पहले स्वामीनाथन रिपोर्ट सभी के जहन में आती है. किसान संगठन हर बार स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की मांग करते रहे हैं. यहां समझें आखिर क्या थी वह स्वामीनाथन रिपोर्ट...

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प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को देश में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है. स्वामीनाथन जेनेटिक वैज्ञानिक हैं. तमिलनाडु के रहने वाले इन वैज्ञानिक ने 1966 में मेक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए. यूपीए सरकार ने किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आयोग का गठन किया जिसे स्वामीनाथन आयोग कहा गया.

...तो बदल जाती किसानों की हालत

दरअसल, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को आज तक लागू नहीं किया जा सका. कहा जाता है कि अगर इस रिपोर्ट को लागू कर दिया जाए तो किसानों की तकदीर बदल जाएगी. अनाज की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करने के मकसद से 18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था. इस आयोग ने पांच रिपोर्ट सौंपी थीं.

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भूमि सुधार की अनुशंसा

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया. अतिरिक्त और बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटना, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देना आदि है.

आत्महत्या रोकने की कोशिश

आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है. यदि इसे लागू किया जाए तो किसानों की स्थिति में काफी सुधार की संभावना है.

...तो बढ़ जाती किसानों की आय

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है ताकि छोटे किसान भी मुकाबले में आएं, यही इसका मकसद है. किसानों की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछेक नकदी फसलों तक सीमित न रहें, इस लक्ष्य से ग्रामीण ज्ञान केंद्र और बाजार का दखल स्कीम भी लांच करने की सिफारिश की गई है.

कांग्रेस सरकार ने कर लिया था स्वीकार!

किसान संगठनों ने कई बार इस को कहा है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के बारे तो मोदी सरकार बात ही नहीं कर रही है. 2006 में जो सिफारिशें स्वामीनाथन आयोग ने दी थीं उसे 11 सितंबर 2007 को ही पिछली कांग्रेस सरकार ने स्वीकार किया था.

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सिफारिशों की मुख्य बातें...

- फसल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज़्यादा दाम किसानों को मिले.

- किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएं.

- गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए.

- महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं.

- किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके.

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