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'मोदी केयर' पर केंद्र ने राज्यों की बुलाई बैठक, ममता पहले ही झाड़ चुकी हैं पल्ला

केंद्र सरकार ने 'मोदी केयर' को लेकर बृहस्पतिवार को सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में स्वास्थ्य योजना को लागू करने के तौर-तरीकों पर माथापच्ची होगी.

प्रधानमंत्री मोदी के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली प्रधानमंत्री मोदी के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली
खुशदीप सहगल/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 15 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:19 AM IST

कई राज्य सरकारों के इनकार के बाद अब केंद्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना 'मोदी केयर' को लेकर आज बैठक बुलाई है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल के बजट में 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए 'आयुष्मान भारत' नाम से योजना का ऐलान किया. दावा किया गया कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने वाली ये सरकारी योजना दुनिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी योजना होगी. इस योजना को जमीन पर कैसे उतारा जाएगा, इसके लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है.

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केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में स्वास्थ्य योजना को लागू करने के तौर-तरीकों पर माथापच्ची होगी. दो दिवसीय बैठक में केंद्र सरकार और नीति आयोग के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.

'मोदी केयर' के नाम से प्रचलित नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के तहत 10 करोड़ परिवारों को यानी करीब 50 करोड़ लोगों को हर साल 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराने का लक्ष्य है, लेकिन अभी तक यह फैसला नहीं हो पाया है योजना को कैसे लागू किया जाएगा.

बजट भाषण में योजना का ऐलान होने के बाद विपक्ष समेत स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े जानकारों ने भी इस पर सवाल उठाए थे. उनका कहना था कि योजना के लिए सरकार ने बजट में सिर्फ 2000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. इससे इतने लोगों को स्वास्थ्य बीमा दे पाना कैसे मुमकिन है.

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बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार इस योजना के तहत चाहती है कि राज्य सरकारें इस पर आने वाले खर्च का 40 फीसदी हिस्सा वहन करे. केंद्र सरकार खुद योजना का 60 फीसदी खर्च उठाने के लिए तैयार है.

कई राज्यों ने झाड़ा पल्ला

योजना को लेकर कुछ राज्य सरकारों ने पल्ला भी झाड़ लिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वह 'आयुष्मान भारत' कार्यक्रम को अपने राज्य में लागू नहीं करेंगीं. उनकी दलील है कि उन्हें ये पैसे की बर्बादी लगता है और पहले से ही राज्य सरकार की तरफ से पश्चिम बंगाल में एक स्वास्थ्य बीमा योजना चल रही है.

तमिलनाडु,  कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे कुछ और राज्यों में भी अलग-अलग तरीके की स्वास्थ्य बीमा योजनाएं पहले से चल रही हैं. ऐसे में जिन राज्यो में बीजेपी की सरकार नहीं है, वो केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा बनेंगे या नहीं, ये  कहना मुश्किल है.

केंद्र सरकार को यह भी तय करना है कि स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कौन कौन सी बीमारियां कवर होंगी. नीति आयोग के सूत्रों के मुताबिक ये साफ है कि 5 लाख रुपये में हर तरह की बीमारी को बीमा योजना में शामिल नहीं किया जा सकता.

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आम चुनाव से पहले लॉन्च करने की तैयारी

स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने के लिए प्रीमियम देने का मॉडल क्या हो इस बात को लेकर भी अभी विचार-विमर्श चल रहा है. कुछ राज्यों ने स्वास्थ्य बीमा के लिए ट्रस्ट बना रखा है जबकि कुछ जगहों पर बीमा कंपनियां प्रीमियम के बदले यह सुविधा मुहैया कराती हैं.

सूत्रों के मुताबिक सरकार 15 अगस्त या 2 अक्टूबर से इस योजना को लागू करना चाहती है, लेकिन अभी इसकी तैयारी पूरी नहीं हुई है. माना जा रहा है कि पहले सरकार कुछ राज्यों में इसे लागू करेगी और फिर बाद में पूरे देश में इसका विस्तार किया जाएगा. 2019 में लोकसभा चुनाव होने है और BJP सरकार यह जरूर चाहेगी कि चुनाव से पहले यह योजना लागू हो जाए ताकि चुनाव के वक्त इसका फायदा बीजेपी को मिल सके.

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