
एक बार फिर मानसून ने धोखा दिया है. केरल में बुधवार को मानसून पहुंचना था लेकिन अभी तक मानसून नहीं आया है. मौसम विभाग ने अब 7 जून को मानसून के दस्तक देने का अनुमान लगाया है. वैसे केरल में ज्यादातर इलाकों में रुक-रुक कर बारिश हो रही है. लेकिन जानकार इस बारिश को मानसून से पहले की बारिश बता रहे हैं. जानकारों के मुताबिक मानसून की हवाओं ने पिछले 24 घंटे में तेजी पकड़ी है और इसकी रफ्तार में अब तेजी आएगी.
साइक्लोन रोनू ने रोके मानसून के कदम
मौसम विभाग के डीडीजीएम बीपी यादव बताते हैं कि मानसून की हवाओं ने अंडमान निकोबार में अपना असर दिखाया है. यहां पर ज्यादातर जगहों पर मॉनसूनी बारिश का सिलसिला जारी है. यहां पर मानसून ने 17 मई को दस्तक दे दी थी. लेकिन 19 मई को बंगाल की खाड़ी में पैदा हुए साइक्लोन रोनू ने बढ़ते हुए मानसून को रोक दिया. साइक्लोन रोनू ने मानसूनी हवाओं के पैटर्न को बिगाड़ कर रख दिया और इसकी वजह से केरल पहुंचने में मानसून को देरी हो रही है.
मानसून नहीं आने से राजस्थान में भीषण गर्मी
साइक्लोन ने जहां एक तरफ मानसून का खेल बिगाड़ा तो वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में भीषण गर्मी को पैदा कर दिया. राजस्थान में साइक्लोन रोनू के चलते हवाओं की दशा और दिशा में हुए बदलाव ने तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंचा दिए और भारत में गर्मी ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया. जहां एक तरफ साइक्लोन रोनू ने मानसून को रुला दिया तो वहीं दूसरी तरफ इसकी नम हवाओं ने उत्तर भारत में गरज के साथ बारिश का सिलसिला शुरू कर दिया. इससे राजस्थान समेत उत्तर-पश्चिम भारत में तापमान में गिरावट का दौर शुरू हो गया. मई का अंत आते-आते मानसून के ग्लोबल सिस्टम की हवाएं कमजोर बनी रही. लेकिन जून की शुरुआत उत्तर भारत में एक बार फिर से गर्मी की सौगात लेकर आई है और इसी के साथ मानसून की हवाओं ने भी तेजी पकड़ ली है.
मानसून का शाब्दिक अर्थ
दरअसल मानसून का मतलब सिर्फ बारिश नहीं होता है. मानसून का पूरा वैज्ञानिक नाम है दक्षिण-पश्चिम मानसून. भारत में जून से लेकर सितंबर के महीने में होने वाली बारिश को मानसून की बारिश माना जाता है. मानसून ग्लोबल वेदर सिस्टम है. ग्लोबल वेदर सिस्टम इसलिए क्योंकि मानसून की हवाएं भूमध्यरेखा से शुरू होती हैं और इनके बनने में धरती के अलग-अलग हिस्सों का वेदर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मसलन मानसून के बनने में दक्षिण ध्रुव पर वायुदाब, तिब्बत पर हवा का दबाव, अटलांटिक महासागर का तापमान, प्रशांत महासागर का तापमान, अरब सागर का वायुदाब और बंगाल की खाड़ी में पानी का तापमान का भी हाथ होता है, इनमें से एक भी फैक्टर अनुकूल नहीं हुआ तो मानसून की स्थिति गड़बड़ा जाती है.
मौसम विभाग की मानसून पर पैनी नजर
गौरतलब है कि पिछले दो सालों से मानसून की स्थिति खराब रही है लेकिन इस बार मौसम विभाग मानसून सामान्य के मुकाबले अच्छा रहने की भविष्यवाणी की है. ऐसे में केरल में देर से मानसून आने का मतलब ये है कि अगर मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही है तो मानसून जब भी आएगा तो झमाझम बारिश होगी. मौसम विभाग के मुताबिक भूमध्यरेखा से मानसून की हवाओं ने फिर से जोर पकड़ लिया है. मानसून पर नजर रखने वाले तमाम वेदर मॉडल ये दिखा रहे हैं कि 6 जून के आसपास केरल, कर्नाटक और गोवा में दक्षिण-पश्चिम दिशा से आ रही नम हवाओं से बारिश का सिलसिला तेजी पकड़ेगा और इसी के साथ बंगाल की खाड़ी से हवाएं पूर्वोत्तर भारत की तरफ बढ़ेंगी. इसका सीधा सा संकेत ये है कि मानसून 7 जून के आसपास भारत में दस्तक दे देगा.