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836 करोड़ की थी हज सब्सिडी, पहले घट कर 250 करोड़ हुई और अब जीरो!

गौरतलब है कि 2006 से ही विदेश मंत्रालय और परिवहन और पर्यटन पर बनी एक संसदीय समिति ने हज सब्सिडी को एक समय सीमा के भीतर खत्म करने के सुझाव दिए थे. इसके बावजूद सरकार ने हज सब्सिडी को खत्म नहीं किया.

मक्का में हज करते जायरीन मक्का में हज करते जायरीन
कुबूल अहमद/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 10:22 PM IST

केंद्र सरकार ने मुसलमानों को हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. 2012 में हज सब्सिडी खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दस साल का समय दिया था. पिछले पांच साल में ये घटकर महज 25 फीसदी रह गई थी और 2022 में पूरी तरह से खत्म होनी थी लेकिन मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए एक झटके में इसे खत्म कर दिया है.

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गौरतलब है कि 2006 से ही विदेश मंत्रालय और परिवहन और पर्यटन पर बनी एक संसदीय समिति ने हज सब्सिडी को एक समय सीमा के भीतर खत्म करने के सुझाव दिए थे. इसके बावजूद सरकार ने हज सब्सिडी को खत्म नहीं किया.

उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की आलोचना की और इसे खत्म करने को कहा. 2012 में कोर्ट ने इसे 10 साल की समय-सीमा में धीरे-धीरे खत्म करने का आदेश दिया था. इसके बाद से लगातार सरकार से मिलने वाली सब्सिडी में कटौती हुई. सरकार द्वारा जो पैसा 2012 से पहले जारी किया जाता था. वो साल दर साल घटता गया.

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के अनुसार 2012 में 836.55 करोड़ रुपये की हज सब्सिडी दी गई. इसके बाद से लगातार सब्सिडी का बोझ सरकार के सिर से कम होता गया. अगले ही साल यानी 2013 में केंद्र सरकार ने इसमें डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की कटौती करते हुए 680.03 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की. 2014 में इस राशि में से भी 100 करोड़ से ज्यादा रकम घटा दी गई और  सब्सिडी 577.07 करोड़ रह गई. 2015 में सब्सिडी में करीब 50 करोड़ की कमी आई. अब ये रकम घटकर 529.51 करोड़ रुपये हो गई. 2016 में 405 करोड़ रुपये बतौर हज सब्सिडी के रूप में सरकार ने दिए यानी सब्सिडी की रकम 836 से घटकर करीब आधी रह गई. पीटीआई की खबर के मुताबिक 2017 में महज 250 करोड़ की हज सब्सिडी दी गई और अब 2018 में हज सब्सिडी को मोदी सरकार ने पूरी तरह से खत्म कर दिया है.

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लगातार बढ़े जायरीन

सरकार ने भले ही हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला किया है. बावजूद इसके बीते कुछ साल से जायरीनों की संख्या में बढ़ोतरी ही हुई है. 1996 में जहां 75346 हज़ यात्री मक्का गए थे वहीं ये साल 2000 में ये आंकड़ा बढ़कर 113909 हो गया.

साल 2012 में येहज यात्रियों की संख्या बढ़कर 169961 हो गई, लेकिन 2013 में ये घटकर 135938 हो गई. सऊदी अरब से संबंधों के आधार पर ये कोटा बढ़ता घटता रहा है. लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद धीरे-धीरे ये फिर से यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ.

साल 2014 में हज यात्रियों की संख्या 135966 जो कि 2017 में बढ़कर 169940 हो गई. इस साल भारत से बिना सब्सिडी के ही 175000 जायरीन हज़ पर जायेंगे. इसके अलावा 1300 महिला हज यात्री ने इस बार अकेले (बिना परिवार या पति के) हज जाने के लिए आवेदन किया था जिसे मंजूरी दे दी गई है. महिला अधिकारी इनकी मदद के लिए रहेगी और इनके रुकने/ठहरने की अलग व्यवस्था की जाएगी.

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