
दुनिया भर के मुसलमान हर साल हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं. सऊदी सरकार भारत को मुसलमानों की आबादी के अनुपात में एक निर्धारित कोटा देती हैं जिसे केंद्र सरकार राज्य सरकारों को आवंटित करती है. आमतौर पर ये काम सेंट्रल हज कमेटी, मुंबई के जरिए संबंधित राज्य की स्टेट हज कमेटी करती है. केंद्र सरकार भारतीय मुसलमानों को हज यात्रा पर सब्सिडी देती रही है, लेकिन मोदी सरकार ने आज इसे खत्म कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि हज सब्सिडी क्या है?
दुनिया के मुसलमानों की तरह भारत के मुसलमान भी सऊदी अरब हज के लिए जाते हैं. भारतीय हाजियों की यात्रा के खर्च का कुछ हिस्सा सरकार सब्सिडी के रूप में खुद वहन करती है. ये सब्सिडी उन्हीं हज यात्रियों को मिलती है, जो हज कमेटी के जरिए जाते हैं. बाकी जो प्राइवेट टूर सर्विस के जरिए जाते हैं उन्हें किसी तरह की सब्सिडी नहीं दी जाती है.
दरअसल, हज यात्रियों को मिलने वाली सब्सिडी का सबसे बड़ा हिस्सा हवाई यात्रा पर खर्च किया जाता है. भारत सरकार का सिविल एविएशन मंत्रालय हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए ये सब्सिडी मुहैया कराता है. ये पैसा हज यात्रियों के बजाय एयर इंडिया को सीधे दिया जाता है.
भारत में हज सब्सिडी लगभग 650 करोड़ रुपये है. ये आमतौर पर सऊदी अरब जाने के लिए हवाई किराये के रूप में दी जाती हैं. मुसलमानों का यही मानना है कि सब्सिडी एयरलाइन्स को दी जा रही हैं न कि उनको.
हज यात्री को दो कैटेगरी में यात्रा करने का अवसर मिलता है. पहली ग्रीन कैटेगरी और दूसरी अजीजिया कैटेगरी. पिछले साल (2016) में हज यात्रा का खर्चा कुछ इस प्रकार था.
मक्का में रुकने का खर्च 81,000 रुपये
मदीना में रुकने का खर्च 9,000 रुपये
एयरलाइन्स का टिकट 45,000 रुपये
अन्य खर्च 76,320 रुपये
कुल खर्च 21,1320 रुपये
मक्का में रुकने का खर्च 47,340 रुपये
मदीना में रुकने का खर्च 9,000 रुपये
एयरलाइन्स का टिकट 45,000 रुपये
अन्य खर्च 76,320 रुपये
कुल खर्च 17,7660 रुपये
अब सारा खेल एयरलाइन्स के टिकट का है, जिसके लिए हज यात्रियों से 45,000 रुपये लिए जाते हैं. सरकारी तौर पर एयरलाइन का आने जाने का टिकट 70,340 रुपये का बताया जाता हैं जिसमें यात्री को केवल 45000 देने होते हैं बाकी का पैसा सब्सिडी के रूप में सरकार सीधे एयरलाइन्स को देती है. यहां भी एक गणित है. यानी दिल्ली की जगह अगर आप ओड़िशा या गोवा से हज के लिए रवाना होते हैं या चेन्नई से जाते हैं तो उसका टिकट खर्च भी अलग-अलग होगा.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की आलोचना की थी और इसे खत्म करने को कहा था. कोर्ट ने इसे 10 साल की समय-सीमा में धीरे-धीरे खत्म करने का आदेश दिया था. 2006 से ही विदेश मंत्रालय और परिवहन और पर्यटन पर बनी एक संसदीय समिति ने हज सब्सिडी को एक समय सीमा के भीतर खत्म करने के सुझाव दिए थे. अगले पांच साल के लिए हज नीति तय करने के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी कमेटी ने भी सब्सिडी को खत्म करने की वकालत की थी, जिसे अब मंजूरी दे दी गई है.