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नेताजी के पड़पोते ने कहा, 'मैं बोस परिवार का सदस्य पहले, बीजेपी का नेता बाद में'

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गुमशुदगी को लेकर केंद्र सरकार के आरटीआई जवाब पर बीजेपी की पश्चिम बंगाल यूनिट में मतभेद खुले तौर पर सामने आ गए हैं. नेताजी के पड़पोते और पश्चिम बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस पर पार्टी के नेताओं के एक वर्ग ने सार्वजनिक तौर पर निशाना साधा है.

नेताजी के पड़पोते चंद्र कुमार बोस नेताजी के पड़पोते चंद्र कुमार बोस
इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 08 जून 2017,
  • अपडेटेड 11:10 PM IST

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गुमशुदगी को लेकर केंद्र सरकार के आरटीआई जवाब पर बीजेपी की पश्चिम बंगाल यूनिट में मतभेद खुले तौर पर सामने आ गए हैं. नेताजी के पड़पोते और पश्चिम बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस पर पार्टी के नेताओं के एक वर्ग ने सार्वजनिक तौर पर निशाना साधा है. चंद्र कुमार बोस ने केंद्र की ओर से एक आरटीआई पर दिए जवाब पर नेताजी के परिवार की ओर से नाखुशी का इजहार किया था.

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गृह मंत्रालय ने 31 मई को आरटीआई के जवाब में कहा था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ताईवान में 1945 में हुए विमान हादसे में मौत हो गई थी. केंद्र सरकार के इस कदम को चंद्र कुमार बोस ने 'गैर जिम्मेदाराना' बताया . चंद्र कुमार बोस ने सरकार से माफी की भी मांग की. उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, "मैं बोस परिवार का सदस्य पहले हूं और बीजेपी नेता बाद में. हमारी पहली प्राथमिकता नेताजी से जुड़ी गुत्थी को सुलझाने की है."

चंद्र कुमार बोस की ओर से केंद्र की खुले तौर पर आलोचना करना बीजेपी की राज्य इकाई को नागवार गुजरा. बीजेपी की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार ने ट्विटर पर चंद्र कुमार बोस की निंदा करते हुए लिखा- चंद्र बोस, क्या आप समझते हैं कि नरेंद्र मोदी नेताजी की मौत की पहेली से पर्दा हटाने को लेकर अगंभीर हैं? कृपया अपनी हद और पात्रता को पार ना करें.

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मजूमदार को जवाबी ट्वीट में चंद्र कुमार बोस ने लिखा- 'राष्ट्र को लगता है कि नरेंद्र मोदी जी नेताजी की पहेली को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन इस दिशा में संगठित प्रयास किए जाने में कमी है. मैं बस लोगों की राय को आवाज दे रहा हूं.'

बता दें कि चंद्र कुमार बोस ने इस हफ्ते के शुरू में एक ऑनलाइन याचिका रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए ट्वीट की थी. इसमें पुतिन से रूस में नेताजी से संबंधित गोपनीय फाइलों को जारी करने की मांग की गई थी. ये वही वक्त था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेंट पीटर्सबर्ग इकॉनमिक फोरम के दौरान पुतिन से मिले थे.

ऑनलाइन पोर्टल पर शुरू याचिका में कहा गया है, 'दुर्भाग्य से ना तो भारत सरकार और ना ही अन्य देशों ने, जो नेताजी की गुमशुदगी के प्रकरण से किसी भी तरह जुड़े हैं, अब तक इस मामले में विस्तृत जांच कराने के लिए कोई दिलचस्पी दिखाई है.'

याचिका में आगे कहा गया है- 'लोगों का यकीन है कि भारत की सरकार, रूस और अन्य देश ऐसी जानकारी को जारी करने से रोके हुए हैं, जिनके सार्वजनिक तौर पर सामने आने से रहस्य से पर्दा उठ सकता है. भारतीय सत्य जानने को बेचैन हैं. नेताजी से जुड़े सभी गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक करने की मांग हर बीते दिन के साथ मजबूत होती जा रही है. जनभावनाओं को भांपते हुए पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने हाल में कई गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया. अच्छी भावना का असर केंद्र सरकार भई असर हुआ और उसने 23 जनवरी 1916 से नेताजी से जु़ड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करना शुरू किया.'

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बीते हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण देने की मांग की थी. ममता ने फेसबुक पर लिखा, 'केंद्र सरकार के बिना सबूत इस तरह के एकतरफा निर्णय को देख कर मैं हैरान हूं.'

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