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News Wrap: अमरिंदर ने सिद्धू से छीना शहरी विकास मंत्रालय, पढ़ें शाम की 5 बड़ी खबरें

पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू से शहरी विकास मंत्रालय छीनकर ऊर्जा मंत्रालय दिया है. दोनों में तकरार के बीच यह फेरबदल देखने को मिला है. वहीं, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी के लिए काम करेंगे. इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बंगले को आवंटित किया गया है. पढ़िए गुरुवार शाम की 5 बड़ी खबरें.....

पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू (Courtesy- aajtak.in) पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू (Courtesy- aajtak.in)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2019,
  • अपडेटेड 8:36 PM IST

पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू से शहरी विकास मंत्रालय छीन लिया है. अब उनको ऊर्जा मंत्रालय दिया गया है. माना जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर से तकरार के चलते उनको यह खामियाजा भुगतना पड़ा है. वहीं, चुनावी रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी के लिए काम करेंगे. पढ़िए गुरुवार शाम की 5 बड़ी खबरें......

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तकरार का नतीजा? CM अमरिंदर ने सिद्धू से वापस लिया शहरी विकास मंत्रालय

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू का मंत्री पद बदल दिया है. सिद्धू को ऊर्जा मंत्रालय दिया गया है. पहले वे पंजाब के शहरी विकास मंत्री थे. सूत्रों के हवाले से पहले ये भी खबर आई थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सिद्धू से शहरी विकास मंत्रालय छीन कर पर्यटन मंत्रालय दे सकते हैं लेकिन अब उनके पास ऊर्जा मंत्रालय का जिम्मा रहेगा. कैप्टन और सिद्धू के बीच मतभेद की खबरें हैं. दोनों के बीच तल्खी लोकसभा चुनाव के बाद और ज्यादा बढ़ गई. पंजाब में कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं, लेकिन कैप्टन का आरोप था कि सिद्धू के बयानों के कारण पार्टी की कई सीटें घट गईं.

जगन मोहन रेड्डी के बाद अब ममता बनर्जी के लिए काम करेंगे प्रशांत किशोर !

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर से गुरुवार को मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी के लिए काम करेंगे. आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत दिलाने के पीछे प्रशांत किशोर का ही दिमाग था. ममता और किशोर के बीच दो घंटे बैठक हुई. प्रशांत किशोर एक महीने बाद ममता बनर्जी के लिए काम करना शुरू करेंगे. लोकसभा चुनावों में बंगाल में बीजेपी को 18 सीट मिलने के बाद ममता बनर्जी को जमीन दरकने की आशंका सता रही है.

अब अटल बिहारी वाजपेयी के 6ए कृष्ण मेनन मार्ग वाले बंगले में रहेंगे गृह मंत्री अमित शाह

गृहमंत्री अमित शाह अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बंगले में रहेंगे. उन्हें 6ए कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित बंगला आवंटित किया गया है. यह बंगला पहले अटल बिहारी वाजपेयी को आवंटित था. 2004 में एनडीए की सरकार जाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री के नाते उन्हें यह बंगला दिया गया था. उनसे पहले यह बंगला डीएमके सांसद मुरासोली मारन को अलॉट था. अब तक अमित शाह अकबर रोड के बंगला नंबर 11 में रह रहे थे, जो उन्हें राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर दिया गया था. यह टाइप 8 का बंगला है. प्रधानमंत्री पद से हटने से लेकर निधन तक अटल बिहारी वाजपेयी इसी बंगले में रहते थे.

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कार्यकर्ताओं का सम्मान न करें सरकारी कर्मचारी तो जूते से पीटो, BJP विधायक के बोल

सरकारी कर्मचारियों को लेकर उत्तर प्रदेश के ललितपुर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक ने विवादास्पद बयान दिया है. यह बयान उन्होंने 4 जून को दिया, जो अब सामने आया है. अपने बयान में कुशवाहा ने कहा कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी हमारे कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं करता तो जूते निकालकर उसे पीटो क्योंकि हर चीज को बर्दाश्त करने की एक सीमा होती है. कुशवाहा ने यह भी कहा कि जिन अफसरों और कर्मचारियों की सपा-बसपा वाली सोच है, उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं को डराया-धमकाया और उन्हें पार्टी की मेंबरशिप के लिए मजबूर किया.

कैसे चलता है BJP का संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से लेकर सब कुछ जानें यहां

अमित शाह के गृह मंत्री बन जाने के बाद बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इसपर सभी की नजरे हैं. बीजेपी में लागू एक व्यक्ति- एक पद के सिद्धांत के कारण अमित शाह का अध्यक्ष बने रहना तब तक संभव नहीं है, जब तक कि बीजेपी के संविधान में संशोधन न हो जाए. बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि अगले महीने तक अध्यक्ष पद पर चुनाव हो जाएगा. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर शाह पद पर बने भी रह सकते हैं. बीजेपी के संविधान की बात करें तो कम से कम पचास प्रतिशत से अधिक प्रदेश संगठनों के चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है.

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