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रोहिंग्या मुसलमानों के लिए क्या कर रही है सरकार?: NHRC

आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि ये सच है कि वो विदेशी हैं और अपनी जान बचाने के लिए म्यामांर से भारत की सीमा का उल्लंघन कर आ गए हैं. लेकिन उनको वापस भेजने के लिए डिटेंशन सेंटर बनाने जैसे क्या समुचित इंतजाम किए गए हैं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
सुरभि गुप्ता/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 7:36 AM IST

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भारत में अवैध रूप से रह रहे करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के केंद्र सरकार के फैसले पर जवाब तलब किया है. आयोग ने सुओ मोटो यानी मीडिया रिपोर्ट्स को आधार बना कर अपनी तरफ से कार्रवाई करते हुए गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा है. गृह सचिव को भेजे नोटिस का जवाब चार हफ्ते में देने को कहा गया है.

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आयोग को रिपोर्ट दे सरकार

आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि ये सच है कि वो विदेशी हैं और अपनी जान बचाने के लिए म्यामांर से भारत की सीमा का उल्लंघन कर आ गए हैं. लेकिन उनको वापस भेजने के लिए डिटेंशन सेंटर बनाने जैसे क्या समुचित इंतजाम किए गए हैं. अगर म्यामांर उनको स्वीकार करने से मना कर दे तो ऐसी स्थिति में उनका क्या होगा. इस बारे में सरकार इन अवैध शरणार्थियों को लेकर सभी आयामों वाली रिपोर्ट आयोग को दे.

बांग्लादेश और म्यांमार से बातचीत

आयोग ने ये भी जवाब मांगा है कि इंटेलिजेंस और लॉ एजेंसियों से भी ये जाना जाए कि इनसे देश को क्या खतरा हो सकता है. भारत सरकार ने संकेत दिए हैं कि रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने के लिए बांग्लादेश और म्यांमार से बातचीत चल रही है.

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भारत में रह रहे रोहिंग्या मुस्लिम

म्यांमार के राखिने प्रांत में भयानक हिंसा के बाद ये रोहिंग्या मुस्लिम अवैध रूप से सीमा पार कर भारत के विभिन्न प्रांतों में रहने लगे थे. जम्मू, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एनसीआर और राजस्थान के दूरदराज के इलाकों में बस गए. आयोग ने ये भी कहा कि हालांकि भारत ने 1951 में यूएन कन्वेंशन और 1967 के इंटरनेशनल प्रोटोकॉल पर दस्तखत नहीं किए हैं. लेकिन शरणार्थियों से जुड़े संयुक्त राष्ट्र के कई घोषणा पत्रों पर भारत के दस्तखत हैं.

हर इंसान को जीने का अधिकार

संविधान के मुताबिक भी भारत में रहने वाले हरेक आदमी को जीवन और निजता का अधिकार है चाहे वो नागरिक हो या ना हो. ऐसे में सरकार को चार हफ्ते में आयोग को जवाब देना होगा कि आखिर वापस भेजने की योजना क्या है. उस योजना के अमल में मानवाधिकारों की हिफाजत कैसे मुमकिन होगी.

 

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