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कश्मीर में टेरर फंडिंग: पढ़ाई के नाम पर भी पैसा वसूलता है हुर्रियत

हुर्रियत के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और उनके परिवार की मुसीबत बढ़ती जा रही है. टेरर फंडिंग पर 'आजतक' के स्टिंग ऑपरेशन के बाद एनआईए की जांच पड़ताल में गिलानी ही नहीं, उसके बेटे दामाद भी बुरी तरह घिर गए हैं. गिलानी के बेटे को दिल्ली लाया जाना था लेकिन खराब तबीयत का हवाला देकर वो नहीं आया.

टेरर फंडिंग पर NIA का शिकंजा टेरर फंडिंग पर NIA का शिकंजा
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 8:52 AM IST

आज तक के ऑपरेशन हुर्रियत का असर धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. एनआईए लगातार टेरर फंडिंग पर जांच कर रही है, जिससे एक के बाद एक कई खुलासे हो रहे हैं. अब पता लगा है कि हुर्रियत नेता पढ़ाई के नाम पर भी पाकिस्तान से लेन-देन करते थे. हुर्रियत नेता पाकिस्तान में दाखिला करवाने के लिए करीब 25-30 लाख रुपये वसूलते थे. इस काम में पाकिस्तान उच्चायोग भी शामिल था. अलगाववादी नेता इस पैसों का उपयोग आतंकवादियों की मदद करने में करते थे.

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बता दें कि हुर्रियत के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और उनके परिवार की मुसीबत बढ़ती जा रही है. टेरर फंडिंग पर 'आजतक' के स्टिंग ऑपरेशन के बाद एनआईए की जांच पड़ताल में गिलानी ही नहीं, उसके बेटे दामाद भी बुरी तरह घिर गए हैं. गिलानी के बेटे को दिल्ली लाया जाना था लेकिन खराब तबीयत का हवाला देकर वो नहीं आया.

'आज तक' के स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया था कि कैसे हुर्रियत नेता आतंक की आग में जम्मू और कश्मीर को झोंकने की बात कर रहे हैं. इस स्टिंग पर एऩआईए ने जब जांच पड़ताल शुरू की तो इसकी जड़ें पाकिस्तान तक पहुंची. हुर्रियत के नेताओं और उनके साथ वतन से गद्दारी करने वालों पर शिकंजा कसा तो इसकी कड़ियां भारत में पाकिस्तान के उच्चायोग तक जुड़ने लगी हैं.

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वहीं इन सभी के बीच भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने हमारे सहयोगी मेल टुडे से बातचीत में कहा है कि इससे पहले भी कई बार अलगाववादी नेताओं पर इस तरह के आरोप लग चुके हैं, लेकिन इसमें किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है.

इसके पहले एनआईए ने छापेमारी में सैयद अली शाह गिलानी का हस्ताक्षर किया हुआ हुर्रियत का एक कैलेंडर बरामद किया था. ये आतंकी कैलेंडर गिलानी के दामाद अल्ताफ फंटूस के घर से बरामद किया था. इस कैलेंडर में तारीख दर तारीख कब कब कहां-कहां हंगामा करना है, कहां दंगा भड़काना है, कहां बवाल कराना है, सब दर्ज था. लेकिन हुर्रियत पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का रुख नरम ही है. हुर्रियत का असली चेहरा सामने आने के बाद ये तय करना होगा कि आतंक के इन आकाओं की दुकान हमेशा हमेशा के लिए बंद हो.

 

 

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