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भारत को मिली 'निर्भय' की ताकत, 1000 किलोमीटर तक मार करेगी यह मिसाइल

निर्भय सभी मौसम में काम करने वाली क्रूज मिसाइल है और इसे टेक ऑफ के लिए ठोस रॉकेट बूस्टर से संचालित किया जाता है. इस बूस्टर की वजह से इसमें बीच आसमान में ही मंडराने की क्षमता है, जिससे यह हवा में कई पैंतरेबाजी भी कर सकता है. निर्भय मिसाइल काफी नीची ऊंचाई पर उड़ने में सक्षण है, जिससे यह दुश्मन के रडार से छिपकर उसके ठिकानों को निशाना बना सकता है.

सबसॉनिक क्रूज मिसाइल 'निर्भय' का टेस्ट रहा सफल सबसॉनिक क्रूज मिसाइल 'निर्भय' का टेस्ट रहा सफल
साद बिन उमर
  • चांदीपुर,
  • 07 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

भारत ने स्वदेशी सबसॉनिक क्रूज मिसाइल 'निर्भय' का ओडिशा तट से सटे चांदीपुर स्थित टेस्ट रेंज में सफल परिक्षण किया गया. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित इस मिसाइल का पांचवा टेस्ट था, इससे पहले के दूसरे टेस्ट को छोड़कर अन्य सभी टेस्ट नाकामयाब ही रहे थे.

डीआरडीओ के सूत्रों ने बताया कि अत्याधुनिक क्रूज मिसाइल को यहां चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) के लॉन्च कॉम्प्लैक्स-3 से विशेष रूप से डिजाइन किए गए लॉन्चर से सुबह करीब 11 बजकर करीब 20 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया.

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निर्भय मिसाइल 300 किलोग्राम परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है और 1000 किलोमीटर के दायरे में स्थित ठिकानों को निशाना बना सकती है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, निर्भय सभी मौसम में काम करने वाली क्रूज मिसाइल है और इसे टेक ऑफ के लिए ठोस रॉकेट बूस्टर से संचालित किया जाता है. इस बूस्टर की वजह से इसमें बीच आसमान में ही मंडराने की क्षमता है, जिससे यह हवा में कई पैंतरेबाजी भी कर सकता है.

निर्भय मिसाइल काफी नीची ऊंचाई पर उड़ने में सक्षण है, जिससे यह दुश्मन के रडार से छिपकर उसके ठिकानों को निशाना बना सकता है. मिसाइल के सटीक निशाने के लिए इसमें बेहद उच्च स्तरीय नेवीगेशन सिस्टम लगा है. रक्षा वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह मिसाइल ब्रह्मोस की कमी को पूरा करती है, क्योंकि उसकी मारक सीमा 290 किलोमीटर है, जबकि यह 1000 किलोमीटर तक मार सकती है.

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वैज्ञानिकों को इस मिसाइल के टेस्ट में पांचवी बार में सफलता मिली. इससे पहले निर्भय की पहली परीक्षण उड़ान 12 मार्च, 2013 को सुरक्षा कारणों से बीच रास्ते में ही समाप्त करनी पड़ी थी. उस समय एक घटक में गड़बड़ी सामने आई थी. हालांकि 17 अक्तूबर, 2014 को दूसरी उड़ान सफल रही थी. अगला परीक्षण 16 अक्तूबर, 2015 को किया गया, जिसे इसकी उड़ान के 700 सैकंड बाद रोकना पड़ा. मिसाइल का चौथा टेस्ट 21 दिसंबर 2016 को ओडिशा के बालासोर में किया गया और उस समय भी यह निर्धारित रास्ते से भटक गई थी.

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