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संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ CAA, रद्द किया जाना चाहिए- अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि नागरकिता संशोधन कानून को रद्द कर दिया जाना चाहिए. कोलकाता में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस कानून को असंवैधानिक होने के आधार पर रद्द कर देना चाहिए.

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (फाइल फोटो) नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • कोलकाता,
  • 09 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:26 AM IST

  • रद्द किया जाना चाहिए नागरिकता संशोधन कानून
  • CAA संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ- सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि नागरकिता संशोधन कानून को रद्द कर दिया जाना चाहिए. कोलकाता में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को असंवैधानिक होने के आधार पर इस कानून को रद्द कर देना चाहिए.

रद्द किया जाए नागरिकता कानून

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून का देश भर में विरोध हो रहा है. देश की विपक्षी पार्टियां नरेंद्र मोदी सरकार के इस कानून का विरोध कर रही हैं. इस कानून का विरोध करते हुए अमर्त्य सेन ने कहा, "मुझे लगता है कि CAA को रद्द कर देना चाहिए, क्योंकि ये कानून नहीं हो सकता है, अब ये देखना सुप्रीम कोर्ट का काम है कि संसद में जो पास किया गया था वो विधि सम्मत है या नहीं."

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अमर्त्य सेन ने कहा कि जहां तक उन्होंने इस कानून को पढ़ा तो ये कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता का मामला संविधान सभा में आया था और फिर ये फैसला लिया गया कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है.

JNU छात्रों का समर्थन

जवाहर लाल नेहरू के छात्रों का समर्थन करते हुए अमर्त्य सेन ने कहा है कि इस मामले में अबतक न्याय नहीं हुआ है. दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि आखिर जिन लोगों को नकाबपोशों ने पीटा उन्हीं का नाम एफआईआर में कैसे जोड़ दिया गया.

हॉवर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने कहा कि कुछ बाहरी लोग आए और उन्होंने जेएनयू के छात्रों पर हमला किया और वहां पर उत्पात मचाया, विश्वविद्यालय प्रशासन इसे नहीं रोक सका और न ही पुलिस वहां पर वक्त पर पहुंच सकी.

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अमर्त्य सेन ने कहा, "अब तक पुलिस ने इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया है, मैंने यह भी सुना है कि वहां के सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे. पुलिस की रिपोर्ट में भी गड़बड़ी थी इसलिए उसे सबमिट नहीं किया जा सका, एफआईआर जो पिटे उन्हीं के खिलाफ दर्ज किया गया. इस मामले में न्याय का घोर अभाव है.

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