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नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG) में ब्लैक कैट कमांडो बनने के लिए अब और कड़े टेस्टों से गुजरना होगा. आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए दक्ष इस सुरक्षा बल ने अब बेहतरीन से बेहतरीन कमांडो भर्ती करने के लिए कुछ और खास कदम उठाए हैं.
ब्लैक कैट कमांडो बनने के लिए अब तक देश में होने वाली भर्ती प्रक्रिया को पहले ही बहुत सख्त माना जाता था. अब इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धाक रखने वाले वियना टेस्ट सिस्टम को और जोड़ दिया गया है. इस टेस्ट के जरिए भर्ती के लिए आवेदन करने वाले के स्वाभाविक गुणों और दमखम को कई तरह के मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की कसौटी पर परखा जाता है. इसमें आवेदक का साहस, निष्ठा, टीम भावना देखने के साथ तनाव सहने की क्षमता, त्वरित रिस्पॉन्स, बुद्धिमत्ता, व्यक्तित्व को कई पैमानों पर जांचा जाता है.
इससे पहले कमांडो को डीआरडीओ से मंजूर डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च (डीआईपीआर) के मिलिट्री साइकोलॉजी टेस्ट से गुजरना पडता था. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के लिए वियना टेस्ट बीते 15 साल से जारी है. NSG के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस टेस्ट से हमें बेहतर उम्मीदवारों को छांटने में आसानी रहती है. कमांडो सुपरफिट होने के साथ बहुत तेज दिमाग वाले भी होने चाहिए. उन्हें सेकेंड के कुछ हिस्सों में ही मौके पर फैसला लेना होता है. इसके लिए हम मजबूत इरादा, साहस, तनाव प्रबंधन के अलावा और भी कई तरह के कौशल देखते हैं.
कमांडो भर्ती प्रक्रिया से वियना टेस्ट को जोड़ने का फैसला NSG के डीजी सुधीर प्रताप सिंह की ओर से लिया गया है. उनका कहना है कि वियना टेस्ट को दुनिया में सबसे अव्वल माना जाता है फिर हमारे कमांडोज के लिए दुनिया का श्रेष्ठ से श्रेष्ठ क्यों ना हो. हमारे पास दो बैच ऐसे हैं जो इस टेस्ट से गुजर चुके हैं. इससे हमें बेहतरीन ऑफिसर और जवान मिलेंगे. कमांडो की 90 दिन की ट्रेनिंग के दौरान 14-20% ड्रॉप आउट्स देखे जाते हैं. वियना टेस्ट को इसीलिए कमांडो के दमखम की सबसे ऊंची पहचान माना जाता है.