
जम्मू कश्मीर के पंपोर में शनिवार को सेना के काफिले पर हुए आंतकी हमले में शहीद हुए सौरभ फराटे का पुणे स्थित उनके पैतृक स्थान फुरसुंगी में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
सौरभ को विदाई देने उमड़े हजारों लोग
सौरभ की अंतिम यात्रा 'सौरभ फराटे अमर रहे' और 'जब तक सूरज चांद रहेगा, सौरभ तेरा नाम रहेगा' के नारों की गूंज के बीच उनके निवास से शुरू की गई. उनके अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. वहीं पुणे से संसद सदस्य अनिल शिरोले समेत अनेक स्थानीय नेताओं ने शहीद सौरभ फराटे को अंतिम श्रद्धांजलि दी.
33 साल के सौरभ पिछले 13 साल से भारतीय सेना में गनर के रूप में तैनात थे. उनके बाद उनके परिवार में सौरभ के माता-पिता, पत्नी, दो जुड़वां बेटियां और एक भाई बचे हैं. उनका भाई भी भारतीय सेना में कार्यरत है.
जुड़वां बेटियों का जन्मदिन मनाने अक्टूबर में घर आए सौरभ
सौरभ के पिता नंदकुमार फराटे के मुताबिक उनका बेटा अक्टूबर में अपनी दो जुड़वां बेटियों का पहला जन्मदिन मनाने के लिए दो महीने की छुट्टी पर घर आया था. इसके बाद वह दिसंबर में चला गया. उन्होंने बताया कि शनिवार की सुबह ड्यूटी पर जाने से पहले सौरभ ने टेलीफोन पर अपने परिजनों से बात की थी.
सौरभ के शोक संतप्त पिता ने कहा, 'शनिवार को मुझे उसकी यूनिट से फोन आया. दूसरी ओर से फोन करने वाले व्यक्ति ने मुझे आधी-अधूरी बात बताई और बस यही कहा कि सौरभ को गोली लग गई है.' उन्होंने बताया, 'इसके बाद मैंने अपने छोटे बेटे रोहित को फोन किया. वह भी सेना में काम करता है और जम्मू में तैनात है. मैंने उसे इस फोन के बारे में बताया. बाद में उसने ही हमें सौरभ के शहीद होने के बारे में सूचना दी.'