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बजट सत्र के दूसरे चरण के शुरुआती दो दिन हंगामे की भेंट चढ़ गए और आगे भी सदन की कार्यवाही हंगामेदार होने के आसार दिख रहे हैं. संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों की अपनी-अपनी मांगें हैं और हर कोई अपने मुद्दे पर बहस की जिद पर अड़ा हुआ है.
यह सत्र सरकार के लिहाज से बेहद खास है. सरकार तीन तलाक और फ्यूजीटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल समेत कई अहम बिल को इस सत्र में पास कराना चाहती है, साथ ही कई अहम मुद्दों पर बहस की दरकार है, लेकिन अभी लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों के सुचारू रुप से चलने के आसार नहीं दिख रहे हैं.
पीएनबी घोटाले पर बहस
कांग्रेस की मांग है कि दोनों सदनों में पीएनबी घोटाले पर बहस की जाए. साथ ही विपक्ष की मांग है कि लोकसभा में नीरव मोदी और बैंकिंग घोटाले पर नियम 52 के तहत चर्चा की जाए जबकि सरकार 193 के तहत चर्चा के लिए तैयार है. पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली का कहना है कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर चर्चा से बच रही है. विपक्ष स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा चाहता है. हालांकि स्थगन प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया गया है.
वहीं संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने मंगलवार को लोकसभा में हंगामे के बीच कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है और इस बाबत नोटिस भी दिया गया है, फिर भी चर्चा नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने खुद 193 के तहत नोटिस दिया था. हम सीधा-सीधा कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि वो क्या पाप छुपाना चाहते हैं. कांग्रेस को बीते वर्षों के घोटालों पर चर्चा से क्यों दिक्कत है.
संसद के नियमों के मुताबिक नियम 193 में अल्पकालीन चर्चा होती है और संबंधित मंत्री उसका जवाब देता है जबकि 52 में बहस के बाद वोटिंग का प्रावधान है.
आंध्र का मामला
बैंकिंग घोटाले के अलावा एनडीए सरकार में शामिल तेलगु देशम पार्टी भी अपनी जिद पर अड़ी हुई है. आंध्र में सत्तारुढ़ टीडीपी की मांग है कि आंध्र प्रदेश को 'स्पेशल राज्य' का दर्जा दिया जाए.
कावेरी जल विवाद
दूसरी ओर, तमिलनाडु के सांसदों की मांग है कि सदन कावेरी जल वितरण विवाद पर चर्चा शुरू की जाए. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने 137 साल पुराने कावेरी जल विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पानी का बंटवारा करते हुए कर्नाटक के हिस्से का पानी बढ़ा दिया. इस फैसले से कर्नाटक को फायदा होता दिख रहा है जबकि तमिलनाडु को इससे नुकसान हुआ. राज्य में इस फैसले से निराशा है और वहां के सांसद सदन में पूरी बहस चाहते हैं.
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की भी अपनी जिद है और उसकी मांग है बैंक लूट पर बहस की जाए.
इसके अलावा त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने से वाम दल नाराज हैं और उनकी मांग है कि इस पूरे घटनाक्रम पर दोनों सदन में बहस कराई जाए. सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि हम त्रिपुरा में सीपीआई कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले के खिलाफ सदन में आवाज उठाएंगे.