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इस संसद सत्र में इन 3 बिलों को पास कराने के लिए जोर लगाएगी सरकार

लेकिन इस बीच इस सत्र में सरकार की कोशिश रहेगी कि वह अटके हुए बिलों को पास करवाए. इनमें तीन बिल ऐसे हैं जिनपर पूरे देश की नज़र है.

बजट सत्र में तीन मुख्य बिलों को पास करवाने पर मोदी सरकार की नज़र बजट सत्र में तीन मुख्य बिलों को पास करवाने पर मोदी सरकार की नज़र
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 05 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST

संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग आज से शुरू हो रहा है. इस सत्र में भी विपक्ष का जोरदार हंगामा सरकार की नाक में दम कर सकता है. नीरव मोदी-पीएनबी घोटाला, कार्ति चिदंबरम पर सीबीआई का शिकंजा, मेघालय में बीजेपी सरकार समेत कई मुद्दों पर कांग्रेस सरकार को घेरेगी. लेकिन इस बीच इस सत्र में सरकार की कोशिश रहेगी कि वह अटके हुए बिलों को पास करवाए. इनमें तीन बिल ऐसे हैं जिनपर पूरे देश की नज़र है.

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1. फ्यूजीटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल

इस बिल को केंद्रीय कैबिनेट से हाल ही में मंजूरी मिली है. पिछले कुछ दिनों में जिस प्रकार से बैंकिंग सेक्टर से जुड़े घोटाले सामने आए हैं, उस लिहाज से ये बिल काफी मायने रखता है. इस बिल के तहत देश छोड़कर जाने वाले को भगोड़ा घोटालेबाज घोषित किया जाएगा.

यह बिल उन्हीं मामलों में मान्य होगा, जहां अपराध 100 करोड़ रुपये से अधिक के हों. बिल के तहत अनुसूचित अपराधियों की पहचान की जाएगी. कोर्ट किसी को भी भगोड़ा घोषित कर सकता है. हालांकि इसके लिए घोटाले की सीमा 100 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए. इससे बड़े अपराधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा.

भगोड़े व्यक्ति की सिर्फ अपराध द्वारा अर्जित की हुई संपत्ति ही नहीं बल्कि सारी संपत्ति जब्त की जा सकेगी. फिलहाल नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े कानून की कमियों का फायदा उठाते थे और एक बार विदेश भाग जाने के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही करने में काफी समय लगता है. नए कानून से यह प्रक्रिया तेज हो सकेगी.

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2. क्या राज्यसभा में पास होगा तीन तलाक बिल?  

बहुचर्चित तीन तलाक बिल को लोकसभा से तो मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा में यह बिल अटक गया था. शीतकालीन सत्र के दौरान तीन तलाक बिल काफी बड़ा मुद्दा रहा था, लेकिन कांग्रेस समेत विपक्ष की कुछ आपत्तियों के कारण बिल राज्यसभा में अटक गया था.

बीजेपी ने कांग्रेस पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया था, क्योंकि कांग्रेस ने लोकसभा में तो बिल का समर्थन किया और राज्यसभा में विरोध. दरअसल, ज्यादातर पार्टियों का कहना यह है कि वह तीन तलाक की हालत में पति को 3 साल के लिए जेल भेजे जाने के खिलाफ हैं. सरकार का कहना है कि अगर जेल भेजे जाने का डर खत्म हो जाए तो फिर इस कानून का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा.

3. ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा

सरकार के लिए दो बड़े बिलों के अलावा ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलवाने वाला विधेयक भी पास करवाना बेहद जरूरी है. यह बिल भी शीतकालीन सत्र से ही अटका हुआ है. ये बिल लोकसभा में पास हो चुका है, बस राज्यसभा में पास होना बाकी है. विपक्ष का आरोप था कि सरकार इसके जरिए राज्यों के अधिकारों को छीना जा रहा है, लेकिन सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है.

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