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अब खुलेगा खाता, नोटबंदी के बाद नया खाता खुलवाने वालों की भी लगी भीड़

हर बैंक में लाइन है, नोट बदलवाने और पैसे निकलवाने की तो सोच भी नहीं सकते, क्योंकि हर बैंक में भीड़ है. ऐसे में नया खाता खुलवाकर उसमें पैसा जमा करना ज्यादा आसान लग रहा है.

बैंकों के बाहर लंबी कतारें बैंकों के बाहर लंबी कतारें
कपिल शर्मा/सबा नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:30 PM IST

मोहम्मद हनीफ गोलडाक खाने के पास नोट एक्सचेंज कराने वालों की लाइन के साइड में खड़े एक स्टॉल पर कुछ बड़बड़ा रहे हैं, पता करने से मालूम हुआ कि मोहम्मद हनीफ नया खाता खुलवाने की जद्दोजहद में जुटे हैं, वो भी अपने बेटे का. एक सप्ताह पहले तक बेटे का डाकघर में खाता खुलवाने का कोई प्लान नहीं था, लेकिन अब वो लाइन में लगकर नए खाते के लिए फार्म भर रहे हैं, पूछने पर कहते हैं, मोदी जी ने तो ऐलान कर दिया, लेकिन आम आदमी पर क्या बीत रही है, ये वही जानते हैं.

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हर बैंक में लाइन है, नोट बदलवाने और पैसे निकलवाने की तो सोच भी नहीं सकते, क्योंकि हर बैंक में भीड़ है. ऐसे में नया खाता खुलवाकर उसमें पैसा जमा करना ज्यादा आसान लग रहा है. बैंकों और डाकघरों ने नया खाता खुलवाने वालों के लिए अलग से काउंटर लगाया है, यहां भीड़ भी कम है, लाइन में ज्यादा देर लगने की परेशानी भी नहीं है और जल्दी से खाता खुल भी रहा है. तो बेटे के नाम खाता खुलवाकर उसमें अब पैसा जमा करेंगे.

मोहम्मद हनीफ अकेले ऐसे शख्स नहीं है, जिन्होंने अपने पैसे को बैंक में जमा करने का आसान तरीका अपनाया है. उनकी तरह ही संजय भी नया खाता खुलवाने के लिए डाकघर के काउंटर पर फार्म भरते नज़र आये. संजय के मुताबिक अभी भी उनके पास दूसरे बैंक में खाता है, लेकिन जब वो गोल डाकखाना पर पैसे बदलवाने पहुंचे, तो पता चला कि लाइन काफी लंबी है, लेकिन साथ ही मालूम हुआ कि नया खाता खुलवाना हो तो अलग से काउंटर लगा हुआ है और यहां ज्यादा भीड़ भी नहीं है. एक साथ कितना पैसा भी जमा करा सकते हैं और हाथ के हाथ खर्चे लायक पैसा निकाल भी सकते हैं. बस संजय को बात जम गई और तुरंत ही नया खाता खुलवाने का फैसला कर लिया.

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हनीफ और संजय जैसी कहानी बहुत सारे लोगों की है, जो इन दिनों एक ही बात की जुगाड़ में हैं कि कैसे भी घर में रखे नोट बदली हो जाएं या फिर बैंक में जमा करा दिये जाएं, लेकिन परेशानी उस वक्त शुरु होती है जब बैं क के सामने पहुंचते है, जहां लंबी लंबी लाइनें लगी होती है. बैंको और डाकघरों ने भी इस मौके को अपने ग्राहक बनाने का सुनहरा अवसर बना लिया है. पहले लोगों से नया खाता खुलवाने के लिए मन्नतें करनी पड़ती थी, लेकिन अब लोग खुद उनके पास खाता खुलवाने के लिए पहुंच रहे हैं. लोगों को सुविधा मिल रही है और बैंकों को नए ग्राहक. नोट की दिक्कत तो कुछ महीनों में खत्म हो जाएगी, लेकिन मजबूरी में खुला खाता तो बाद तक जारी रहेगा.

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