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मोदी का ट्रंप को जवाब- भारत हमेशा से पर्यावरण का हितैषी, भविष्य की पीढ़ी के लिए करेंगे काम

हमारा एक वेद अथर्ववेद पर्यावरण को समर्पित है, पर्यावरण से छेड़छाड़ अपराध है. हमारे सर्विस सेक्टर में भी बड़ा स्कोप है. भारत की एक सांस्कृतिक विरासत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
अमित कुमार दुबे
  • सेंट पीटर्सबर्ग,
  • 02 जून 2017,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

पेरिस जलवायु समझौते से अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपना हाथ खींच लिया है. साथ ही अमेरिका ने भारत और चीन को प्रदूषण फैलाने का जिम्मेदार ठहराया है. इस बीच, शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद अपनी स्पीच में पीएम नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया है. ट्रंप का नाम लिए बिना मोदी ने कहा - 'मैं जर्मनी में पहले ही कह चुका हूं, पेरिस ऑर नो पेरिस. भारत पर्यावरण हितैषी है. इसके लिए काम करता रहा है और करता रहेगा.'

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पेरिस समझौते पर रूस में क्या बोले मोदी
पेरिस जलवायु समझौते पर मोदी ने कहा कि मत सोचिए कि मैं किसी का पक्ष लूंगा लेकिन भविष्य की पीढ़ी का पक्ष जरूर लूंगा. पुतिन के साथ बैठक के बाद पीएम मोदी ने कहा कि भारत पेरिस जलवायु समझौते के लिए प्रतिबद्ध है. हम 40 करोड़ एलईडी बल्ब घर-घर पहुंचाने वाले हैं. गुजरात विश्व में ऐसी चौथी सरकार थी जिसने पर्यावरण के लिए अलग डिपार्टमेंट बनाया था. हम उद्योग में जीरो इफेक्ट और जीरो डिफेक्ट पर काम करते हैं.

पेरिस जलवायु समझौते से अलग हुआ US, ट्रंप बोले- भारत-चीन के लिए सख्त नहीं प्रावधान

हमारा एक वेद अथर्ववेद पर्यावरण को समर्पित है, पर्यावरण से छेड़छाड़ अपराध है. हमारे सर्विस सेक्टर में भी बड़ा स्कोप है. भारत की एक सांस्कृतिक विरासत है. 5000 साल पुरानी नगर रचना किसी को देखनी है तो भारत आना चाहिए. रक्षा के क्षेत्र में भी निवेश के लिए मैं कंपनियों को निमंत्रण देता हूं.

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ट्रंप के फैसले का अमेरिका पर क्या पड़ेगा असर
समझौते से खुद को अलग करते हुए ट्रंप ने कहा कि वो अमेरिकी हितों को नजरअंदाज नहीं कर सकते, इस फैसले से अमेरिकी उद्दयोग जगत और कारोबार पर असर पड़ेगा, इसलिए वो खुद को इससे अलग कर रहे हैं. ट्रंप ने अपने संबोधन में इस समझौते को लेकर भारत और चीन का जिक्र किया था.

पेरिस समझौते से अमेरिका अलग, अब भारत के सामने ये बड़ी चुनौतियां
पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने और पर्यावरण संरक्षण की कोशिश को झटका लगा है. हालांकि भारत ने अमरीका के बगैर भी इस समझौते से जुड़े रहने का ऐलान किया है. अमेरिका के इस कदम का भारत पर कोई सीधा असर तो नहीं पड़ने वाला है, लेकिन इससे भारत के लिए आगे उत्सर्जन कटौती के लक्ष्य के लिए तेज कदम उठाना मुश्किल होगा, क्योंकि भारत को अब अंतरराष्ट्रीय वित्त और टेक्नोलॉजी हासिल करने में मुश्किल आएगी.

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